Monday, April 25, 2022

जल अगर हमसे कभी भी जुदा हो जाए

जल अगर हमसे कभी भी जुदा हो जाए 

ग़ैर मुमकिन है कि सुख चैन से हम जी पाए

जिस्म मिट जाए के तब जान फ़ना हो जाए


उस घड़ी सब को सताएँगीं प्यासी आहें 

आग बरसाएँगी सहरा की सुलगती राहें

और हर साँस झुलसने की सज़ा हो जाए


आज तदबीर अगर कर लें ज़माने वाले

हो सकता है बदल जाए दिन आने वाले

आज सम्हलें तो युग-युग की दवा हो जाए


ज़लज़ले आएँ ख़तरनाक बलाएँ घेरे

कुछ न कर पाए जो तेज़ हवाएँ घेरे

हल जो पानी की समस्या हो जाए


राहुल उपाध्याय । 25 अप्रैल 2022 । सिएटल 




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