मेरे दोस्त मेरा मज़ा लेते हैं
जो चाहे सुना देते हैं
लड़ते-झगड़ते तो वाजिब भी था
हँसते-हँसते दगा देते हैं
जो कहते हैं करते नहीं
देने को हज़ार सलाह देते हैं
लूटपाट भी कोई करता नहीं
बस एक भरोसा है जो गंवा देते हैं
मिलने की उन्हें फ़ुर्सत नहीं
फ़ोकट में दोस्त बना लेते हैं
राहुल उपाध्याय । 30 अप्रैल 2022 । सिएटल
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सुन्दर
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