Thursday, April 7, 2022

बड़ी सुखदायी है, अम्बे महारानी

आने से उसके आए बहार

गाने पे उसके नाचे हज़ार

बड़ी सुखदायी है 

अम्बे महारानी 

देने सुख आई है 

अम्बे महारानी 


चल के आए ऐसे 

जैसे बजते हों 

घुंघरू कहीं पे

आके पर्वतों से

जैसे गिरता हो 

झरना ज़मीं पे

झरनों की 

मौज है वो

रोगों की दवाई है 


बन संवर के निकले नाचें दो-दो बजे तक सभी हाँ 

जागरण का मौसम

जागे जप-तप करत 

हर नगीना 

देखो तो 

कौन हैं ये

नींद ना आई है


इन्सानों के दुख का

दुख-सुख का

नहीं कोई काँटा

बादलों से जैसे

झाँकें चंदा कोई 

भोला-भाला

माता को 

देखा तो

मिटी कठिनाई है


(आनंद बक्षी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 7 अप्रैल 2022 । सिएटल 

https://youtu.be/PusVEFzmn8Y


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