गुज़रा है कोई
पर रोया नहीं कोई
गीता के जैसे ज्ञानी हैं सब
बुरी भी नहीं बिलकुल थी वो
कि मरने से जिसके किसी को राहत मिली हो
क्या है वजह कि
हम रोते नहीं
रोना तो क्या
तिल भर भी दुख होता नहीं
क्या यही था जुर्म कि वो एक लम्बे समय तक टिकी रही
काम में कभी कोई कमी न रही
न लड़ी, न झगड़ी, न किसी के आड़े आई
अच्छा ही है कि कोई भी अमर नहीं
राहुल उपाध्याय । 8 सितम्बर 2022 । सिएटल
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