Thursday, September 8, 2022

गुज़रा है कोई

गुज़रा है कोई 

पर रोया नहीं कोई 

गीता के जैसे ज्ञानी हैं सब

बुरी भी नहीं बिलकुल थी वो

कि मरने से जिसके किसी को राहत मिली हो


क्या है वजह कि 

हम रोते नहीं 

रोना तो क्या 

तिल भर भी दुख होता नहीं 

क्या यही था जुर्म कि वो एक लम्बे समय तक टिकी रही

काम में कभी कोई कमी न रही

न लड़ी, न झगड़ी, न किसी के आड़े आई


अच्छा ही है कि कोई भी अमर नहीं 


राहुल उपाध्याय । 8 सितम्बर 2022 । सिएटल 


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