Friday, September 30, 2022

अब सड़कें सीधी नहीं बनतीं

अब सड़कें सीधी नहीं बनतीं 

पार्क रिक्टेंगल नहीं होते

बिल्डिंगें आड़ी-तिरछी होती हैं 

कभी सर तिरछा होता है

तो कभी कोहनी कहीं निकली होती है 


आजकल सीधा-सपाट किसे पसंद आता है 

घड़ियाँ भी गोल नहीं होतीं हैं 

कॉफी का मग भी मुड़ा-तुड़ा होता है 


हो सकता है

एक दिन

सूरज भी

गोल ना निकले


राहुल उपाध्याय । 30 सितम्बर 2022 । सिएटल 

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