क्यों पढ़ता हूँ कहानियाँ
जिनमें होता है मेरा सुख-दु:ख
क्यों पढ़ता हूँ कविताएँ
जिनमें होता है मेरा सुख-दु:ख
क्यों देखता हूँ फ़िल्में
जिनमें होता है मेरा सुख-दु:ख
क्या जीवन जीना ही काफ़ी नहीं है
जो मैं उन पलों को दोबारा जीता हूँ?
कहानियाँ पढ़ कर
कविताएँ पढ़ कर
फ़िल्में देख कर
मैं इसी जन्म में पुनर्जीवित हो जाता हूँ
एक ही जन्म में कई जन्मों को जी लेता हूँ
राहुल उपाध्याय । 5 सितम्बर 2022 । सिएटल
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