वो ही जोक भेजता है
वो ही शोक व्यक्त करता है
वो ही डायबिटीज़ उखाड़ फेंकता है
वो ही ज्ञान बांटता है
वो ही है जो दुनिया की तमाम ख़बरों पे अपनी नब्ज़ रखता है
कैसे कोई इतना
भंडार सम्हाल लेता है
एक अंगूठे के बल पे
दुर्गा के हज़ार हाथों से
ज़्यादा हमें दान देता है
वो ही एक कर्मयोगी है
जो मौत और जश्न को
एक ही आँख से देखता है
एक ही साँस में
दोनों पे टिप्पणी करता है
एक में ओम शांति
तो दूजे में लख बधाईयाँ कहता है
प्रभात भी सुप्रभात
उसके बिना न होती है
रात्रि भी शुभरात्रि
उसके कहे बिना न होती है
कब कौन सा त्योहार है
उसके कहने ही से आता है
वह जो कह दे तो हमें
अपनी संस्कृति पे गर्व होता है
वह जो कह दे तो
शर्म से डूब के मरना होता है
ऐसे कर्मवीर का
झूठ भी हमें सच लगता है
ये ही तो है जिससे
दुनिया जहान का पता चलता है
ये न हो तो
कितने दिग्गज
बिना हमारे आँसू
बहाए निकल जाते
वो कितना किसके लिए
छोड़ गए यह भी न जान पाते
राहुल उपाध्याय । 30 सितम्बर 2022 । सिएटल
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