Thursday, October 27, 2022

हक़ीक़त हमारी

हक़ीक़त हमारी कहानी हो गई 

दिल की थी साफ़ सयानी हो गई 


क़िस्से सुनाए कहानी बनाए

पलक झपकते नानी हो गई 


जान थी मेरी, बड़ी ख़ास थी वो 

आज वो चीज़ पुरानी हो गई 


क़ाफ़िया है एक जिसमें नाम भी है 

लगाऊँ कि नहीं परेशानी हो गई 


नम्बर भी है और फ़ोन भी साथ 

लगाऊँ कि नहीं परेशानी हो गई 


ना वो मीरा कोई न राधा कोई 

कि प्यार में टूट दीवानी हो गई 


बेवफ़ा कहूँ कि बेमुरव्वत कहूँ 

कि बन के मेरी बेगानी हो गई


थे अरमान कई, थे ख़्वाब कई

ज़िन्दगी आज बेमानी हो गई 


वाक़िफ़ था जिसकी रग-रग से राहुल वो आश्ना तो क्या अनजानी हो गई 


राहुल उपाध्याय । 27 अक्टूबर 2022 । सिएटल 




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