Sunday, October 23, 2022

आड़े आ गए बीच में बस दो भाई थे

राम के वो था क़रीब 

और राम से था इतना वो दूर 

कि वाल्मीकि न तुलसी ने

न गुप्त ने न पंत ने

न सभा में किसी संत ने

नाम लिया उसका कभी


हाँ साथ था वो उन तीन के

जब ब्याह दिये गए थे वो थोक में


क्या चाह थी उसकी क्या माँग थी

क्या उसकी भी कोई राह थी?

कौन व्यर्थ कोई समय बर्बाद करे

क्यूँ उसकी कोई बात करे

जो न कोसता था न पूजता था

बस सूर्यवंश का उसमें खून था

उसके अलावा न उसमें कोई गुण था

न राम ने पूछा हाल कभी

न उसने राम से किया कोई प्रश्न कभी

कि कुछ सीख ले, कुछ जान ले

भेद सृष्टि के सृष्टा से जान ले

भाभी के पाँव पखार ले

आशीर्वाद उनसे माँग ले


वो पात्र था बस नाम का

उसका न कोई किरदार था

न चित्र उसका न पोस्टर कोई 

न दो गज की दूरी थी न दो हाथ की

आड़े आ गए बीच में बस दो भाई थे


नाम था जिसका शत्रुघ्न 

हाय कितना नीरस वो पात्र था


राहुल उपाध्याय । 23 अक्टूबर 2022 । सिएटल 




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