क्वाँरी है करवा चौथ करती मगर
मेरी है, मेरी है नहीं कहती मगर
वो साँसों से बढ़ के है चाहती मुझे
मरती है मुझपे नहीं कहती मगर
है पास नहीं और रहती दूर भी नहीं
मैं आऊँगी मिलने नहीं कहती मगर
आज़ाद है, आज़ाद ही है रहना उसे
छोड़ दूँगी तुम्हें नहीं कहती मगर
उससे भला दुनिया में कौन और भला
है प्यार मुझसे नहीं कहती मगर
राहुल उपाध्याय । 13 अक्टूबर 2022 । सिएटल
0 comments:
Post a Comment