इतिहास ही नहीं
समाचार भी
देश, काल, परिस्थिति के हिसाब से
एक ही समय में कई रूप ले लेते हैं
इस चैनल पर कुछ
उस चैनल पर कुछ
और उस चैनल पर और कुछ
इस अख़बार में कुछ
उस अख़बार में कुछ
और उस अख़बार में और कुछ
इस देश में कुछ
उस देश में कुछ
और उस देश में और कुछ
यदि सच जानना है तो
विशेषण न पढ़ कर
सिर्फ़ संज्ञा-सर्वनाम-क्रिया ही पढ़ें
और भविष्यगामी खबरें तो देखें ही न
ये अख़बार हैं
इनके पास कोई यंत्र नहीं
जो कल की बात आज बता दें
2024 का तो क-ख-ग भी नहीं पता
राहुल उपाध्याय । 20 अक्टूबर 2022 । सिएटल
(मल्लिकार्जुन के निर्वाचन पर)
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