दहलीज़ों पर हम दीप रखें
अंगना चमके दुख दूर हटे
आँसू न हमारे आज बहें
अंगना चमके दुख दूर हटे
माना कि जहां में ग़म भी हैं
सुख और सहारे कम भी हैं
इक दीपक आस का आज जले
अंगना चमके दुख दूर हटे
होंठों पे तराने ले आएँ
उन्माद जीवन का घर लाएँ
नख से शिखा तक आज सजें
अंगना चमके दुख दूर हटे
राहुल उपाध्याय । 20 नवम्बर 2022 । सिएटल
0 comments:
Post a Comment