Wednesday, November 20, 2024

इस पल में जियो

इस पल में जियो 

यह सीख बचकानी हुई

आँधी आने की

जब घोषणा हुई


जो नहीं लाना था

वो भी ले आए

पूरी की पूरी

दुकान ले आए


जब बिजली नहीं थी

जाती नहीं थी

जो आता है वो जाता है 

यह बात सताती नहीं थी


हर सीख से आदमी कैसे सीखे?

निडर हो कर कैसे जिएँ?

कल की आशंका से डरता है वो

बूंद-बूंद से घड़ा भरता है वो

आग लगने पर कुआँ खोदता नहीं 

चांस पे कभी कुछ छोड़ता नहीं 


राहुल उपाध्याय । 20 नवम्बर 2024 । सिएटल 






Sunday, November 17, 2024

इतवारी पहेली: 2024/11/17


इतवारी पहेली:


कीर्तिमान के झंडे बिग # ###

मर गए वो जो उनका कुछ #### 


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 24 नवम्बर 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 17 नवम्बर 2024 । सिएटल 




Re: इतवारी पहेली: 2024/11/10



On Sun, Nov 10, 2024 at 5:22 AM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


विमला बना खम्मन # ## रही थी

और बच्चे का बोझ # ## रही थी


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 17 नवम्बर 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 10 नवम्बर 2024 । सिएटल 




Sunday, November 10, 2024

इतवारी पहेली: 2024/11/10


इतवारी पहेली:


विमला बना खम्मन # ## रही थी

और बच्चे का बोझ # ## रही थी


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 17 नवम्बर 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 10 नवम्बर 2024 । सिएटल 




Friday, November 8, 2024

मैं आया हूँ लेके ताज हाथों में

मैं आया हूँ, लेके ताज हाथों में 

जनतंत्र की पहचानी, हो पहचानी राहों से


मौन अरमानों को मैं आवाज़ दे रहा हूँ 

हाँ मैं विचारों को नये अल्फ़ाज़ दे रहा हूँ 

बसकर सबके ख़्वाबों में

जीत कर वोट को लाखों में 

मैं आया हूँ, लेके ताज हाथों में 


छोड़कर रिटायरमेंट मैं ये काम कर रहा हूँ

हाँ नाम बुढ़ापे का मैं बदनाम कर रहा हूँ 

चलकर अपने दम पर मैं

जूझकर लाखों-लाखों से

मैं आया हूँ, लेके ताज हाथों में 


स्पीच मेरी सुनकर, नौजवान जागते हैं 

हाँ जोश में आके नए आसमान नापते हैं 

रोशनी उनकी आँखों में

और भरकर ऊर्जा बाँहों में

मैं आया हूँ, लेके ताज हाथों में 


(आनन्द बक्षी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 8 नवम्बर 2024 । सिएटल 



Thursday, November 7, 2024

रात भर टीवी देखो

रात भर टीवी देखो

दिन पहाड़ सा नहीं लगता 

हाथ में हो हाथ 

दिमाग़ नहीं भटकता


दुनिया की गलियों में 

नज़ारे ही नज़ारे हैं

कैमरा हो हाथ में

बुरा नहीं दिखता 


जो खोज लेता है ख़ुद को

पहचान लेता है आप को

वो कौन जीता, कौन हारा

इसमें नहीं उलझता


सफ़र है ये सबका

सबका ये पड़ाव है

तू-तू मैं-मैं करने से

कुछ बदला नहीं करता


अक्सर ये आदमी 

इश्क़ जब है करता

माँ-बाप या भाई-बहन

किसी की नहीं सुनता 


राहुल उपाध्याय । 7 नवम्बर 2024 । सिएटल 


Wednesday, November 6, 2024

अब तो मान जाओ

अब तो मान जाओ 

कि वो सुनता नहीं है

किसी भी मुद्दे पर

हस्तक्षेप करता नहीं है

तुम चाहो कि

यह जीते

वह जीतता नहीं है 

तुम चाहो कि

वह हारे

वह हारता नहीं है

तुम्हारे चाहने से

कुछ होता नहीं है 

यदि हो भी गया

तो तुम्हारे चाहने से तो यह हुआ नहीं है

क्योंकि हर बार ऐसा होता नहीं है


राहुल उपाध्याय । 6 नवम्बर 2026 । सिएटल