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Wednesday, May 26, 2021

तेरा हाथ सदा है सर पे

https://youtu.be/Fnq5g4tePRs


तुझे सूरज कहूँ या चंदा

तुझे दीप कहूँ या तारा

तेरा हाथ सदा है सर पे

तू ही मेरा एक सहारा


तुझे भूल मैं कैसे जाऊँ

तेरी याद बसी है दिल में

तुझे दूर मैं कैसे पाऊँ

तू दौड़ रहा मेरी रग में

तुझे रोज़ मैं ऐसे चाहूँ

जैसे धूप को छाँव का मारा..


तेरा मुझसे क्या है नाता

मैं आज बताऊँ तुझको

तू रोज़ खिलाए मुझको

मैं भोग लगाऊँ तुझको

तू ही मेरा मात-पिता है

तू ही मेरा राज दुलारा


मैं गा रहा हूँ कैसे

मुझमें भक्ति है तुझसे

मैं चल रहा हूँ कैसे

मुझमें शक्ति है तुझसे

तेरे लाख मुझपे करम हैं

तू ही मेरी साँस की धारा


राहुल उपाध्याय । 26 मई 2021 । सिएटल 

Thursday, October 29, 2020

कब कौन बनेगा लीडर

कब कौन बनेगा लीडर

हम नहीं हैं इस पर निर्भर 

देश का नाम करेगा रोशन

मेहनतकश हरेक सिटिज़न 


हम नहीं हैं इतने मूरख

कि रखें उनसे ये उम्मीदें 

एक नन्हें से वोट के बदले 

हमें सारी ख़ुशियाँ दे दे

कर दे हमें मालामाल 

रंगों से भर दें आँगन 


आज मेहनत कर के अपने

घर-बार हम ख़ूब चलाए

कल को भी कर से अपने 

जो बन सके वो हम कमाए

क्यूँ कर दें किसी के हवाले

अपना ये सुंदर जीवन


जब तक इस दुनिया में

करने को काम रहेगा

हम नहीं हटेंगे पीछे 

पहले हमारा नाम रहेगा

तब तक जूझते रहेंगे

जब तक न मिटे हर अड़चन


(प्रेम धवन से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 29 अक्टूबर 2020 । सिएटल 

https://youtu.be/0_VXhe8HUa4 


Saturday, July 18, 2020

अगर एन-आर-आई, तुझको पहचान जाते

सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें:

https://tinyurl.com/RahulParodies


अगर एन-आर-आई, तुझको पहचान जाते

ख़ुदा की क़सम तुम्हें ग्रेजुएट न करते

जो मालूम होता, ये अंज़ाम-ए-तालीम

तो तुम को पढ़ाने की ज़ुर्रत न करते


फूल जैसा पाला, खार बन के निकले

तेज़ इतने हो कि, धार बन के निकले

जो उठ जाते पहले ही आँखों से पर्दें 

तो भूले से भी कॉलेज में दाखिल न करते


मेरा दिल था शीशा, हुआ चूर ऐसा

के अब लाख जोड़ूँ तो जुड़ न सकेगा

तू पत्थर का बुत है पता 'गर ये होता

तो कुछ कहने की हिमाक़त न करते


जिन्हें तुमने समझा मेरी बेवकूफ़ी

मेरी ज़िन्दगी की वो मजबूरियाँ थीं

हाँ, पढ़ाई तुम्हारी इंग्लिश में ही कराई

क्यूंकि सरकार ने तो पहनीं चूड़ियाँ थीं

अगर सच्ची होती शिक्षा तुम्हारी

तो घबरा के तुम यूँ शिकायत न करते


जो हम पर है गुज़री हमीं जानते हैं

सितम कौन सा है नहीं जो उठाया

निगाहों में फिर भी रही तेरी सूरत

हर एक सांस में तेरा पैगाम आया

अगर जानते तुम ही इलज़ाम दोगे

तो भूले से भी तुम्हें शिक्षित न करते


(प्रेम धवन से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 30 नवम्बर 2007 । सिएटल 


Friday, November 30, 2007

अगर एन-आर-आई, तुमको पहचान जाते


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

अगर एन-आर-आई, तुमको पहचान जाते
ख़ुदा की क़सम तुम्हे ग्रेजुएट न करते
जो मालूम होता, ये इलज़ाम-ए-तालीम
तो तुम को पढ़ाने की ज़ुर्रत न करते

जिन्हें तुमने समझा मेरी बेवकूफ़ी
मेरी ज़िन्दगी की वो मजबूरियाँ थीं
हाँ, पढ़ाई तुम्हारी इंग्लिश में की थी
क्यूंकि सरकार ने तो पहनी चूड़ियाँ थीं
अगर सच्ची होती शिक्षा तुम्हारी
तो घबरा के तुम यूँ शिकायत न करते

जो हम पर है गुज़री हमीं जानते हैं
सितम कौन सा है नहीं जो उठाया
निगाहों में फिर भी रही तेरी सूरत
हर एक सांस में तेरा पैगाम आया
अगर जानते तुम ही इलज़ाम दोगे
तो भूले से भी हम तुम्हे शिक्षित न करते

(प्रेम धवन से क्षमायाचना सहित)