धरती
दूर से ऐसे
खींचती है
जैसे मेरे बिना
उसे एक पल चैन नहीं
पास आते ही
अपने आवरण में
जला कर ख़ाक कर देती है
शमा
नीले रंग की भी होती है
पता न था
राहुल उपाध्याय । 6 जुलाई 2022 । बनारस
धरती
दूर से ऐसे
खींचती है
जैसे मेरे बिना
उसे एक पल चैन नहीं
पास आते ही
अपने आवरण में
जला कर ख़ाक कर देती है
शमा
नीले रंग की भी होती है
पता न था
राहुल उपाध्याय । 6 जुलाई 2022 । बनारस
Posted by Rahul Upadhyaya at 5:22 AM
आपका क्या कहना है??
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ये सदी सुन रही है, ये सदी गा रही है
राह मेरे जहां की कहाँ जा रही है
तोड़ के पर्वतों को बुत नए हैं बनाए
रंग फूलों पे अपने, अपने रंग सजाए
हर तरफ़ एक जैसी हवा छा रही है
खोट जिनके हैं दिल में, ख़ुदा वो बने हैं
हाथ ख़ंजर हैं जिनके, मसीहा बने हैं
आस जिनसे थी उनसे क़ज़ा आ रही है
साथ जिनका था उनसे बहाने मिले हैं
प्यार की राह खोजी, फ़साने मिले हैं
ज़िन्दगी ज़िन्दगी से आज शरमा रही है
राहुल उपाध्याय । 4 जुलाई 2022 । रतलाम
क़ज़ा = मौत
Posted by Rahul Upadhyaya at 4:22 PM
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आपके फ़ोटों
आपको ना मिलें
दु:ख होता है
वैसे ही जैसे
फ़्लाइट इतनी महँगी हो
कि फ़र्स्ट क्लास की जगह
इकोनॉमी में बैठना पड़े
और इकोनॉमी क्या चीज़ है
यह आपको समझ न आए
तो आप बहुत सुखी इंसान हैं
राहुल उपाध्याय । 3 जुलाई 2022 । रतलाम http://mere--words.blogspot.com/2022/07/blog-post_2.html?m=1
Posted by Rahul Upadhyaya at 10:57 PM
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आपके फ़ोटों
आपको ना मिलें
दु:ख होता है
वैसे ही जैसे
फ़्लाइट इतनी महँगी हो
कि फ़र्स्ट क्लास की जगह
इकोनॉमी में बैठना पड़े
और इकोनॉमी क्या चीज़ है
यह आपको समझ न आए
तो आप बहुत सुखी इंसान हैं
राहुल उपाध्याय । 3 जुलाई 2022 । सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 10:47 PM
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इतवारी पहेली:
न प्रसाद से और # ### #
मिलता नहीं कुछ ## ## #
इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर।
जैसे कि:
हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की
ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं।
Https://tinyurl.com/RahulPaheliya
आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं।
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 10 जुलाई को - उत्तर बता दूँगा।
राहुल उपाध्याय । 3 जुलाई 2022 । रतलाम
Posted by Rahul Upadhyaya at 4:58 PM
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इतवारी पहेली:
शादी में नाश्ते से रूठें ###
चाय नहीं क्यों दो ## ##?
इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर।
जैसे कि:
हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की
ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं।
Https://tinyurl.com/RahulPaheliya
आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं।
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 3 जुलाई को - उत्तर बता दूँगा।
राहुल उपाध्याय । 26 जून 2022 । सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 4:58 PM
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मैं
तेरे देश
तेरे शहर
तेरे गाँव
आया हूँ
इतने पास होकर भी
तुझसे न मिल पाया हूँ
तू साथ न होकर भी साथ है
इस का सुख-दुख है मुझे
तेरे हाथ से लिखे ख़त का
हर्फ़-हर्फ़ याद है मुझे
हर प्यार
हर प्यार की गुहार
प्यार का इकरार
याद है मुझे
जीवन की हर उम्मीद
तेरी मुझसे
मेरी तुझसे
याद है मुझे
तेरे मल्टी यूएसबी एडॉप्टर से
मेरे दोनों फ़ोन
एन्ड्रायड और आय-फ़ोन
चार्ज हो रहे हैं
मैं तेरी याद से
चार्ज हो रहा हूँ
तेरी याद में
थक रहा हूँ
अजीब सा उन्माद है प्यार में
अब जा के कहीं साहिर के शब्द समझ पाया हूँ
ये इश्क़ इश्क़ है इश्क़ इश्क़
ख़ाक़ को बुत, और बुत को देवता करता है इश्क़
इन्तहा ये है के बंदे को ख़ुदा करता है इश्क़
हाँ इश्क़ इश्क़ तेरा इश्क़ इश्क़
तेरा इश्क़ इश्क़, इश्क़ इश्क़ …
राहुल उपाध्याय । 1 जुलाई 2022 । धामनोद
Posted by Rahul Upadhyaya at 2:50 AM
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