Friday, June 9, 2023

कोई थू-थू नहीं करता

वह हिन्दू है

और विवाह करती है 

एक विवाहित हिन्दू से

दूसरी पत्नी बन कर

कोई किसी को नहीं रोकता

कोई थू-थू नहीं करता


बल्कि उसे सम्मानित करता है 

दो बार सांसद का चुनाव जीत जाती है

वह भी धर्म नगरी से

और उनकी बेटियों का विवाह 

इस्कॉन मन्दिर में 

धूमधाम से

सम्पन्न होता है 

कोई किसी को नहीं रोकता

कोई थू-थू नहीं करता


और वह भी 

जो पत्नी नहीं 

रखैल बन कर रहती है 

कोई उसे कुछ नहीं कहता

कोई थू-थू नहीं करता


बल्कि उसके साहस की

दाद देते हैं 

प्रशंसा करते हैं 

आधुनिक समाज की

वीरांगना कहते हैं 


और वह भी 

जो शादी नहीं करती है 

और उस शादीशुदा व्यक्ति के 

बच्चे की माँ बन जाती है 

उसे पालती है, पोसती है

बड़ा करती है 

और अपने पिता से मिलने देती है 

कोई उसे कुछ नहीं कहता

कोई थू-थू नहीं करता


बल्कि उसे सम्मान मिलता है 

वह किताब लिखती है 

सबको अपने जीवन से

प्रेरित करती है 


और वह भी 

जो बच्चे कर लेती है 

और पिता का नाम ज़ाहिर नहीं करती

सब उसकी तारीफ़ करते हैं 

उसके कुशल माँ होने की मिसाल देते हैं 


कोई कुछ नहीं कहता

कोई थू-थू नहीं करता


यह अमेरिका या इंग्लैंड नहीं 

हमारा अपना भारत है

ये किसी बड़े शहर या छोटे शहर की नहीं 

पूरे भारत की बात है 

अमीर या गरीब की नहीं 

हर तबके की बात है 


बेड़ियाँ हम ख़ुद बाँधते हैं

हमें ही तोड़नी होगी

टूट रही हैं

और टूटनी चाहिए 


हम ज़माने से नहीं 

ज़माना हमसे हैं


राहुल उपाध्याय । 9 जून 2023 । सिएटल 







वह काम नहीं करता

वह काम नहीं करता

क्यूँकि वो ग्रेजुएट है

और यूपीएससी निकाल के रहेगा


वह घर नहीं छोड़ता

क्यूँकि उस पर 

बाप-दादा की सम्पत्ति की छाँव है


वह देश नहीं छोड़ता

क्यूँकि उसके माता-पिता 

अकेले पड़ जाएँगे 


वह शादी नहीं करता

क्यूँकि उसकी बड़ी बहन

अभी क्वाँरी है


वह विदेश में अकेला है

क्यूँकि तनख़्वाह कम है


हर किसी की ज़िंदगी में

कोई न कोई झमेला है

क्योंकि सबने अपने पाँव में

ख़ुद बेड़ियाँ बाँध रखीं हैं


राहुल उपाध्याय । 9 जून 2023 । सिएटल 



Thursday, June 8, 2023

वह पैदल नहीं चलती

वह पैदल नहीं चलती
क्यूँकि उसकी बच्ची 
उसके पल्लू से बँधी है

वह योगा नहीं करती
क्यूँकि उसकी किचन 
उसके पल्लू से बँधी है

वह कमाती नहीं है
क्यूँकि उसका पति 
उसके पल्लू से बँधा है

यह एक्यूपंक्चर,
यह योगा,
यह ध्यान 
ये सब तुम अपने पास रखो
उसे फ़ुरसत नहीं है कि
वह अपने स्वास्थ्य की
या समाज सुधार की
या देश की जीडीपी की सोचे
वह व्यस्त है अभी 
अपनी संस्कृति बचाने में
बच्ची को भेड़ियों से बचाने में
पति को परमेश्वर बनाने में 

बच्ची को डॉक्टर-इंजीनियर बनाना चाहती है 
पता नहीं क्या बनेगी 
पर इतना ज़रूर है
वह भी संस्कृति की रक्षा करेगी
बच्ची को पल्लू से बांधेगी
पति को परमेश्वर बनाएगी
कमाई नाम मात्र की करेगी
देश की जीडीपी और 
ख़ुद की सेहत को
राख करेगी

राहुल उपाध्याय । 8 जून 2023 । सिएटल

मेरी दुनिया

मेरी दुनिया मेरे साँचे में उतर जाती है

जिधर जाऊँ, मेरी दुनिया उधर जाती है 


रस्ता मेरा रचता हूँ मैं, ताकि काँटे न हो

रिश्ता कोई बनता नहीं, ताकि बाँधे न वो

मेरी उमर सुख से भरी गुज़र जाती है 


अपने हैं जो, अपने नहीं हैं, खून के नाते हैं

छोड़ दिए, तोड़ दिए, अब ना वो नाते हैं

आँखों में मेरी नमी ना कोई नज़र आती है 


राहुल उपाध्याय । 8 जून 2023 । सिएटल 


Wednesday, June 7, 2023

प्रेम पत्र

प्रेम पत्र सुरक्षित है उसका 

बहुत सम्हाल के रखा है 

हज़ारों कापियाँ बना रखीं हैं 

जबकि किसी के हाथ आ जाए 

तो मेरा 'दि एण्ड' हो जाए


गुगल क्लाउड में भी है

एक-एक हर्फ़ तो याद नहीं 

पर ज़ुबाँ पर स्वाद है

हर लफ़्ज़ का

हर रंग का

हर घुमावदार 'एच' का

'आई लव यू' के 'लव' का

❤️ का

हिन्दी-अंग्रेज़ी मिक्स में छुपे प्यार का

इज़हार का

दुलार का

श्रृंगार का


यह उसका पहला प्रेम पत्र था

मेरे लिए तीसरा


पहला तब जब मुझे अपेक्षा नहीं थी

बहुत सम्भाल कर रखा

कॉपी नहीं बनाई 

शहर बदलने के चक्कर में कहीं खो गया


दूसरा तब जब उसे फाड़ देना ही उचित था


और यह तीसरा तब जब जीवन बंजर था

मानो लम्बे अकाल के बाद बरसात हुई

बीज फूटे 

अंकुर निकले

बहार आई

नगमे गाए

जीवन में एक मौज आई

और जैसे आई वैसे चली गई 


प्रेम पत्र मेरा है

मेरा ही रहेगा

इसे कोई छीन नहीं सकेगा


कल को कहीं सीरियस भी हो गया

तब भी इसे मिटाऊँगा नहीं 

चाहे उसके हाथ लग जाए

हमारे बीच ख़लल पड़ जाए


यही तो मेरा सरमाया है

यही तो मेरा लब्बोलुआब है

यही तो मेरे हाथ आया है

बाक़ी सब तो जैसे ही पाया 

खोया है 


क्यूँ लिखा था उसने?

क्यूँ सबसे नज़रें बचा कर दिया था उसने?

क्यूँ इतनी हिम्मत आई थी उसमें?


उसकी हिम्मत 

उसकी मेहनत

उसके प्यार को मैं 

फाड़ नहीं सकता

मिटा नहीं सकता

गला नहीं सकता

काट नहीं सकता

जला नहीं सकता


यह उसकी आत्मा है

आत्मा है उसकी

शरीर कहीं और है

आत्मा मेरे पास है


जब चाहूँ उसे गले लगा लेता हूँ 

सराबोर हो जाता हूँ 


राहुल उपाध्याय । 7 जून 2023 । सिएटल 



उसने लिखा

उसने लिखा 

बात करने का मन बहुत है

पर नहीं कर सकती


इन दस शब्दों से जो सुख मिला है 

वो दस घंटे तक कुछ कर के भी नहीं मिलता


कौन सोचता है इतना?

क्यूँ सोचती है वो इतना?

क्यूँ बात करना चाहती है मुझसे?

क्यूँ मन करता है इतना?

क्या सम्बन्ध है उसका-मेरा?


इतनी मेहर है मुझ पर

मुझे यक़ीन ही नहीं होता

डायरी में 

एक और दिन अच्छा गुज़रा

लिख दूँगा 


दुनिया में दुःख उसके भी है 

फिर मुझे क्यों सुखी देखना चाहती है वो?

लफड़े हज़ारों उसके भी हैं

फिर कैसे चैन देना जानती है वो?

क्यूँ है मुस्काती? कैसे है मुस्काती?

कैसे हज़ारों बोझ छुपाती है वो?


उससे बात हो और बात न हो 

अच्छा लगता है


वो साथ न हो 

और फिर भी साथ हो

अच्छा लगता है


इस हँसती-गाती दुनिया में 

कोई मेरे लिए भी 

उदास हो,

बेकरार हो

अच्छा लगता है


राहुल उपाध्याय । 7 जून 2023 । सिएटल 



Tuesday, June 6, 2023

मुझे तुमसे

मुझे तुमसे 

मिलना न होता

लड़ना न होता

झगड़ना ना होता

चिपकना ना होता

लिपटना ना होता

बिफरना ना होता

उखड़ना ना होता

उधार ना लेना होता

बदला ना लेना होता

कुछ पूछना ना होता

कुछ कहना ना होता 

कुछ सुनना ना होता 

कुछ मतलब ना होता

कुछ रिश्ता रखना ना होता

तो मैं उन दो में से एक ट्रेन में ज़रूर होता


राहुल उपाध्याय । 6 जून 2023 । सिएटल