Monday, January 31, 2022

गरम-गरम ये चाय है

गरम गरम ये चाय है

पीने को 

सौ-सौ बार मैंने जतन किए


पाँच बजे कोई उठता है, 

दूर कहीं से दूध लाता है 

तब जा के किसी चूल्हे पे

चाय में रंग वो आता है 


होती होगी कॉफी भी

पसंद हज़ारों लाखों की

मुझको है बस चाय पसन्द

पसन्द मेरे ख़्वाबों की


चाय में ऐसा जादू है

चाय मिटाती तनहाई है 

कितना भी हो बासी दिन

चाय मिले शहनाई है


राहुल उपाध्याय । 31 जनवरी 2022 । सिएटल 

https://youtu.be/bgJTvvjv0aY



Saturday, January 29, 2022

Re: इतवारी पहेली: 2022/01/23



शनि, 22 जन॰ 2022 को अ 11:25 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

इतवारी पहेली:


न चाय आई, न ## ## ##

चेन्नई का नाम था #%## ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 30 जनवरी को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 23 जनवरी 2022 । सिएटल 
















इतवारी पहेली: 2022/01/30


इतवारी पहेली:


हर साल बड़ा है, कौन सा #%  ## होगा

नहीं जानता था माँ न होगी तो #%## होगा


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 6 फ़रवरी को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 30 जनवरी 2022 । सिएटल 
















Friday, January 28, 2022

घर वो हुआ करते थे

घर वो हुआ करते थे 

जहाँ लोग रहा करते थे 

बुआ-मौसी अपने बच्चों सहित

गर्मियों की छुट्टियाँ बीताने आया करते थे 


फिर वे सराय बन गए

जहाँ कुछ लोग कभी-कभार 

रात-दो-रात गुज़ार लिया करते थे 


अब ये रेस्टोरेन्ट हैं

खाया, पिया और खिसकें 


राहुल उपाध्याय । 28 जनवरी 2022 । सिएटल 


जब भी मैं तुम्हारी बात करता हूँ

जब भी मैं तुम्हारी बात करता हूँ 

लोग सोचते हैं 

मैं उसकी बात कर रहा हूँ 


मैं फैज़, मैं खुसरो, मैं कबीर हो गया हूँ 


तुम ही मेरी आत्मा 

तुम ही मेरा परमात्मा हो


तुम्हें देख सकता हूँ 

तुम्हें सुन सकता हूँ 

तो इसमें बुराई क्या है?


तुम ही मेरी आत्मा 

तुम ही मेरा परमात्मा हो


तुम्हें दोस्त कह के

मैं ख़ुद को कम क्यों आँकूँ 


मैं कलम का धनी, अमीर हो गया हूँ 

मैं फैज़, मैं खुसरो, मैं कबीर हो गया हूँ 


राहुल उपाध्याय । 28 जनवरी 2022 । सिएटल 






Thursday, January 27, 2022

उल्टा सीधा एक समान #21

उल्टा सीधा एक समान #21

—————————


मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं। 


यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:


नाहक है कहना। 


दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है। 


आज का शब्द है:


नये


राहुल उपाध्याय । 28 जनवरी 2022 । सिएटल










Re: उल्टा सीधा एक समान #20



गुरु, 20 जन॰ 2022 को अ 9:57 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

उल्टा सीधा एक समान #20

—————————


मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं। 


यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:


नाहक है कहना। 


दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है। 


आज का शब्द है:


बारह


राहुल उपाध्याय । 21 जनवरी 2022 । सिएटल









शाम होते-होते भूल जाता हूँ

शाम होते-होते भूल जाता हूँ 

सुबह किसने मुझे जगाया था


जो किया 

मैंने किया

इसमें न किसी का हाथ था


नहाया-धोया

पकाया-खाया

मेल देखी-मेल भेजी

कुछ पढ़ा-कुछ लिखा

कुछ समझा-कुछ समझाया 


सब कुछ तो मैंने किया

इनमें न किसी का हाथ था


शाम होते-होते भूल जाता हूँ 

सुबह किसने मुझे जगाया था

जब असहाय था

किसने हाथ बढ़ाया था


राहुल उपाध्याय । 27 जनवरी 2022 । सिएटल 





Wednesday, January 26, 2022

Re: उल्टा सीधा एक समान #4



शुक्र, 1 अक्तू॰ 2021 को पू 10:39 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

उल्टा सीधा एक समान #4

—————————


मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं। 


यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:


नाहक है कहना। 


आज गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर मैं एक नई श्रृंखला की शुरुआत कर रहा हूँ। मैं एक शब्द दूँगा। उससे आपको एक अर्थपूर्ण जुमला बनाना है। जैसे कि यदि नाहक शब्द दिया तो 'नाहक है कहना' जुमला उसका हल है। दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है। 


आज का शब्द है:


गया


राहुल उपाध्याय । 1 अक्टूबर 2021 । भोपाल 


Re: उल्टा सीधा एक समान #10



शुक्र, 12 नव॰ 2021 को पू 12:04 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

उल्टा सीधा एक समान #10

—————————


मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं। 


यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:


नाहक है कहना। 


दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है। 


आज का शब्द है:


मेज़ 


राहुल उपाध्याय । 12 नवम्बर 2021 । सिएटल 










Monday, January 24, 2022

अब जो होगा बुरा होगा

अब जो होगा

बुरा होगा

न होगा

तो ख़ुदा होगा


जब तक था प्रेम

था मोहपाश

अब जा के कहीं 

सफ़र हल्का होगा


बचपन से अब तक

न पुकारा जिसे 

उसे पुकारने से

अब क्या होगा 


सब नियम हैं

नियंत्रण के हथकंडे 

सिमरन में भी उसका ही

कोई फ़ायदा होगा 


न पढ़ता है कोई 

न समझता है कोई 

क़िस्मत लिखनेवाला भी

अपनी क़िस्मत को रोता होगा 


राहुल उपाध्याय । 24 जनवरी 2022 । सिएटल 



Sunday, January 23, 2022

बीमारी

जैसे लोग कोकैन सुड़कते हैं

वैसे ही रोज़ मैं नाक में

डण्डियाँ घुसैड़ता हूँ 

ताकि पता कर सकूँ 

कि कहीं आज मुझे 

अपराधी तो नहीं 

घोषित कर दिया जाएगा 


दरियादिली इतनी है

कि दरियादिली पर शक होता है 


फ़्री टीके

फ़्री टेस्ट 

फ़्री मास्क 


जिन्हें जिनसे मिलना है

मिल रहे हैं 

जिनसे नहीं मिलना है 

बीमारी का हवाला दे रहे हैं 


जिन्हें जहाँ जाना है

जा रहे हैं 

जहाँ ज़रूरत है वहाँ 

बीमारी का हवाला दे रहे हैं 


कितनी अच्छी है ये बीमारी 

जो अंदर है बाहर आ रहा है 

जो समझ नहीं पा रहे थे

उन्हें समझा रहा है 


राहुल उपाध्याय । 23 जनवरी 2022 । सिएटल 



जीवन चक्र

तीन चौथाई पानी है

फिर भी तरसती आँखों से

तकती है धरती मेघों को


पाती है, पीती है, तकती है 

पाती है, पीती है, तकती है

पाती है, पीती है, तकती है


संतुष्टि नहीं 

असंतुष्टि ही

जीवन चक्र है


राहुल उपाध्याय । 23 जनवरी 2022 । सिएटल 



Saturday, January 22, 2022

इतवारी पहेली: 2022/01/23


इतवारी पहेली:


न चाय आई, न ## ## ##

चेन्नई का नाम था #%## ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 30 जनवरी को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 23 जनवरी 2022 । सिएटल 
















Re: इतवारी पहेली: 2022/01/16



शनि, 15 जन॰ 2022 को अ 11:04 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

इतवारी पहेली:


क्या मिला था उन्हें बस ## #%# #

सो रखा धनपत राय ने नाम ###%# #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 16 जनवरी को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 9 जनवरी 2022 । सिएटल 
















Thursday, January 20, 2022

Re: उल्टा सीधा एक समान #19



गुरु, 13 जन॰ 2022 को अ 7:07 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

उल्टा सीधा एक समान #19

—————————


मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं। 


यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:


नाहक है कहना। 


दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है। 


आज का शब्द है:


नारी


राहुल उपाध्याय । 14 जनवरी 2022 । सिएटल









Tuesday, January 18, 2022

पेड़

पहले माँ गईं

और आज पेड़


इंसान का शरीर 

एक मशीन की तरह है

हज़ार अंजर-पंजर है

कब क्या बिगड़ जाए

एक उम्र के बाद

कुछ कह नहीं सकते 

प्राण छूट जाते हैं 

ढाँचा बिखर जाता है 

और न चाहते हुए भी 

उसे राख करना पड़ता है 


पेड़?

क्या इसकी भी पाचन क्रिया शिथिल हो गई थी?

क्या इसे भी भूख नहीं लगती थी?

क्या इसे भी पानी पीते ही उल्टी हो जाती थी?


यदि नहीं 

तो क्या यह किसी के लिए कोई अड़चन था?

किसी के आशियाने पर तूफ़ान में गिर कर उन्हें तबाह कर सकता था?


इसके सामने तो मैं ही रहता हूँ 

क्या इसे इसीलिए काट कर बुरादा कर दिया गया कि मैं चैन की नींद सो सकूँ?


राहुल उपाध्याय । 18 जनवरी 2022 । सिएटल 





Saturday, January 15, 2022

Re: इतवारी पहेली: 01/09/2022



शनि, 8 जन॰ 2022 को अ 11:14 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

इतवारी पहेली:


गीत वही अच्छा जिसका हो ## #%#

रैली वहीं अच्छी जहाँ हो ###


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 9 जनवरी को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 9 जनवरी 2022 । सिएटल 
















Friday, January 14, 2022

इस बार

इस बार

तुम शायद न रूक पाओ

और चुन लो कोई 

जीवन साथी 


हर बार की तरह

इस बार

मैं 

झूठ नहीं कह पाऊँगा कि

तुम खुश

तो मैं भी खुश


वह दर्द 

जो कि सिर्फ़ 

किताबों में पढ़ा था

फ़िल्मों में देखा था

गीतों में सुना था

वह भी 

मेरे हिस्से आ जाएगा 


देवदास 

मजनूँ 

फ़रहाद

जैसे ऑथर बैक्ड रोल्स 

मेरी ख़ुशक़िस्मती है 

या मेरा मज़ाक़ 

मैं समझने में

असमर्थ हूँ 


राहुल उपाध्याय । 14 जनवरी 2022 । सिएटल 




Thursday, January 13, 2022

उल्टा सीधा एक समान #19

उल्टा सीधा एक समान #19

—————————


मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं। 


यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:


नाहक है कहना। 


दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है। 


आज का शब्द है:


नारी


राहुल उपाध्याय । 14 जनवरी 2022 । सिएटल









Wednesday, January 12, 2022

मैं मर तो उसी दिन गया था

मैं मर तो उसी दिन गया था

जिस दिन तुमने मुझे अमिताभ 

और ख़ुद को रेखा बताया था 

फूलों की वादी में

अपनी गोद

मुझे सुलाया था

अपने हाथों 

बर्थडे केक खिलाया था

एक नहीं 

सौ-सौ हाथ मुझे जगाया था

अपना आँचल मुझे ओढ़ाया था

हर गाने को अपना गाना बनाया था 


ये ब्रेकअप?

ये तो हमारे किरदार में शामिल है

हमारी कहानी का बेहतरीन अंग है 

हमारी प्राणशक्ति है 


—-*—*—-*—-


घर जाकर

खाना खा लेना

पोर्ट्रेट खिंचवाकर 

दीवाली की शुभकामनाएँ भेज देना ही

जीवन नहीं 


जीवन

यह भी है

कि वह है

और उससे मिल नहीं सकते


पता मालूम है 

रस्ता भी जाना-पहचाना है 

और उधर मुड़ नहीं सकते


बल्कि 

यही 

जीवन है 


मैं मर तो उसी दिन गया था 


राहुल उपाध्याय । 12 जनवरी 2022 । सिएटल