Wednesday, October 28, 2015

ग़ज़ब फेंकते हो तुम


ग़ज़ब फेंकते हो तुम
कहाँ शुरू कहाँ खतम
दलीलें भी अजीब सी
न तुम समझ सके न हम
मुबारकें तुम्हें के तुम
मंच के नूर हो गए
माईक के इतने पास हो
कि सबसे दूर हो गए
किसीका वोट लेके तुम
वादे भूल जाओगे
जब-जब बाज़ार जाएँगे
तुम हमको याद आओगे
ये बीजेपी के साथ क्यूँ 
भूत जुड़ा हिन्दूत्व का?
भारत के विकास में 
महत्व क्या हिन्दूत्व का?

(शैलेन्द्र से क्षमायाचना सहित)
28 अक्टूबर 2015
सिएटल । 425-445-0827

Wednesday, October 21, 2015

रावण मारा नहीं जाता है


पापा,
पिछले साल तो जलाया था
आज फिर क्यों?
क्या वो मरा नहीं?

कैसे समझाऊँ 
कि
रावण मारा नहीं जाता है
सिर्फ़ जलाए जाने का नाटक किया जाता है
ताकि रामलीला होती रहे
राम का गुणगान होता रहे
और
जनता
बाक़ी मुद्दे भूलकर
जय श्रीराम
जय श्रीराम
कहती रहे

राम के अस्तित्व के लिए रावण ज़रूरी है

21 अक्टूबर 2015
सिएटल । 425-445-0827

Monday, October 19, 2015

वादा फ़रामोश वादा न करे ऐसा नहीं होता


वादा फ़रामोश वादा न करे ऐसा नहीं होता
ये सियासत है, सियासत में क्या-क्या नहीं होता

हम पुरस्कार भी लौटाएँ तो हो जाते हैं बदनाम
वे क़त्ल भी करे तो चर्चा नहीं होता

हम होते, तुम होते तो ऐसा नहीं होता
जहाँ भी होता है झगड़ा, वहाँ हमसा नहीं होता

लेती है ज़िंदगी भी इम्तिहान कैसे-कैसे
सिलेबस भी वो जिसका अता-पता नहीं होता

मोहब्बत होती है और होती रहेगी
नफ़रत से नस्ल का गुज़ारा नहीं होता

वादा फ़रामोश = वादा तोड़ने वाला
सियासत = राजनीति
सिलेबस = syllabus 

19 अक्टूबर 2015
सिएटल | 513-341-6798



Saturday, October 17, 2015

पहेली 42


पहेली 42

रूठते नहीं हैं फिर भी मनाते हैं हम
तरह-तरह के पकवान खिलाते हैं हम
कोई मरता है तब भी
कोई जन्मता है तब भी
कोई हारता है तब भी
कोई जीतता है तब भी

सजते हैं, धजते हैं
फ़ेसबुक-व्हाट्सैप पे कट-पेस्ट करते हैं

दिमाग़ लगाओ, न मानो तुम हार
सही बताओगे तो पाओगे तुरंत यो हार
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कैसे हल करें? उदाहरण स्वरूप पुरानी पहेलियाँ और उनके हल देखें।

Thursday, October 15, 2015

पहेली 41




इसका नाम ले-ले कर जो बटोरते हैं धन
वे भी एक दिन पकड़ लेते हैं सर
कि वो उपर भी है और नीचे भी है
घूँघट में भी है और दिखे भी है 
पर नहीं हैं पर उड़े भी है
न खाए, न डायट करे
पर घटे-बढ़े भी है

जल्दी बतलाओ वरना पाओगे डंडा
मैं भी हूँ पक्का अपने वचन दा

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कैसे हल करें? उदाहरण स्वरूप पुरानी पहेलियाँ और उनके हल देखें।

Thursday, October 8, 2015

संग भी इन दिनों सलामत नहीं


संग भी इन दिनों सलामत नहीं
ताज बने ऐसी हालत नहीं

विदेशियों पे करते हैं इतना भरोसा
कि देश में पनपती सदारत नहीं 

चिपके ओबामा और मार्क से ऐसे
मानो इनके बिना बढ़ेगा भारत नहीं

डॉलर शहद और मक्खी हैं हम
शहद चाटनेवाले देते शहादत नहीं

मरे कोई, किसी को जँचता नहीं
कहने की करते सब हिमाक़त नहीं

संग = पत्थर 
सदारत = नेतृत्व, leadership 
शहादत = शहीद होना
हिमाक़त = मूर्खतापूर्ण साहस

8 अक्टूबर 2015
सिएटल । 425-445-0827


Wednesday, October 7, 2015

अख़बार पढ़ कर क्या होगा?


अख़बार पढ़ कर क्या होगा?
वो गुज़रे हुए कल की बात करता है

स्कूल जाकर क्या होगा?
वो आनेवाला कल सुधारेगा

मैं योगी हूँ
मैं वर्तमान में जीता हूँ

जो बीत गया सो बीत गया
जो होगा सो होगा

अख़लाक़ को मरे नौ दिन हो गए हैं
और देश भी आज डूबने वाला नहीं है

तो फिर आज क्यों बेकार में परेशान होना?

जो कल की फ़िक्र करते हैं
हमेशा अस्वस्थ रहते हैं

लम्बी साँस लो
हवा इस नथुने से लो
और उस नथुने से बाहर निकालो

मैं वर्तमान में जीता हूँ
मैं मर्तबान में जीता हूँ

7 अक्टूबर 2015
सिएटल | 425-445-0827

शिकायत है नज़्म में नज़ाकत नहीं



शिकायत है नज़्म में नज़ाकत नहीं
ताक़त है लेकिन शराफ़त नहीं

लिखता हूँ जो दिल में उभरते हैं भाव
कविताओं के शिल्प में महारत नहीं

होगी पश्चिम में हज़ारों ही ऐब
दूध का धुला भी कोई भारत नहीं

मैं लेता हूँ जब भी किसी दूसरे का पक्ष
ये आदत है मेरी, अदावत नहीं

इबादत करूँ तो भी वो करते हैं शक़
कि संकट की इबादत इबादत नहीं

अदावत = दुश्मनी
इबादत = पूजा

7 अक्टूबर 2015
सिएटल । 425-445-0827