Thursday, June 29, 2023

अच्छे नहीं हालात तो क्या

अच्छे नहीं हालात तो क्या

बुरे नहीं हालात तो क्या 

हाथ में ले अधिकारों को

वोट दे उम्मीदवारों को

वोट दे, वोट दे, वोट दे

वोट दे, वोट दे, वोट दे


कल को कोई हार भी जाए

हार न मान ओ सिटिज़न 

बरसों के संग्राम से पा के

खो न इसे तू सिटिज़न 


तूने अब तक जो किया है 

उसी से है तेरा जीवन

दे के अपना मत बना दे

देश का जीवन उज्ज्वल 


जिनको कोई अधिकार नहीं है 

पूछो कितने हैं दुखी

तुम न अपना आप बिगाड़ो

पूरी करो अपनी ड्यूटी 


राहुल उपाध्याय । 30 जून 2023 । रतलाम 


Wednesday, June 28, 2023

आज उसकी सुनो जो कट ही गया

आज उसकी सुनो जो कट ही गया

या मुझको ही कुछ कहने दो

मैं ग़म को ख़ुशी कैसे कह दूँ 

जो कहते हैं उनको कहने दो


ये पर्व भला है कैसा भला

जिसमें किसी को प्यार नहीं 

क्यूँ काट दिया मासूम कोई 

उसको तो ख़ुशी से रहने दो


आवाज़ भी उसकी ख़ास नहीं 

देता वो किसी को मार नहीं 

कुछ रहम करो इक प्राणी पर

कुछ कोमलता भी जगने दो


क्या काट भला तुम पाओगे 

काटो जो तुम्हारी है ये रीत बुरी

खाओ-खिलाओ मीठा कुछ 

पर्व को पर्व सा मनने दो


राहुल उपाध्याय । 29 जून 2023 । रतलाम 


Tuesday, June 27, 2023

जो अब तक है गुज़री अब और न गुज़रे

जो अब तक है गुज़री अब और न गुज़रे 

आओ वोट देकर हम दुनिया ये बदले


न वोट देना तो शिकायत भी न करना

कि हमको हमारे हक़ नहीं मिलते


जो सच्ची है चाहत कि देश आगे निकले

वोट तो देना है तय आज कर लें


जब तक है जीवन, तब तक है चुनना

घबरा के पीछे यूँ कदम हम न लेंगे 


जन्नत हो जाए हमारी ये दुनिया 

इक दिन तो होगी, हम वोट तो दे दे


राहुल उपाध्याय । 28 जून 2023 । रतलाम 






जो हम पे है गुज़री तुम पे न गुज़रे

जो हम पे है गुज़री तुम पे न गुज़रे 

यही चाहते हैं, दुआ ये ही करते


तुम्हें दिल दिया है, तुम्हें चाहते हैं 

तुम्हीं से हमारे हैं दिन-रात सजते


हुए ख़ाक तुम पे गर्व से हैं कहते

मिलने को तुमसे हम हर रोज़ मरते


हमें चाहे जितनी दिशाएँ बुलाए

नहीं दर कोई बस तुमको हैं सजदे


हमें कोई पूछे कि जन्नत कहाँ है

हम तो कहे कि जहाँ तुम हो रहते


राहुल उपाध्याय । 28 जून 2023 । रतलाम 

कैसे तर्जनी और कनिष्ठा के बीच

कैसे तर्जनी और कनिष्ठा के बीच

रखना है फ़ोन 

और कैसे अंगूठे से दबाकर

लेनी है सेल्फ़ी 

ताकि कैमरा स्थिर रहे

और फ़ोटो अच्छी आए

तुम्हीं ने था सिखाया 


लाख चाह कर भी भूल नहीं पाता हूँ 

जब भी लेता हूँ सेल्फ़ी 

कि तुम थी सेल्फ़ी क्वीन 

और मैं सेल्फ़ी दीन

जितनी भी तुम भेजती थी

मेरा पेट नहीं भरता था


सोचता हूँ 

एकलव्य बन जाऊँ 

अँगूठा निष्क्रिय कर दूँ 

ताकि न रहेगा बांस, न बजेगी बाँसुरी 

और मैं शायद तुम्हें थोड़ा भूल पाऊँ 


या फ़ोन ही उठा के फेंक दूँ 

या लोगों से मिलना-जुलना छोड़ दूँ 


राहुल उपाध्याय । 28 जून 2023 । रतलाम 




Monday, June 26, 2023

जो गुज़र रही है मुझपे

जो गुज़र रही है मुझपे

मैं कहीं गुज़र न जाऊँ 

गो उम्र नहीं है कुछ भी 

मैं कहीं उतर न जाऊँ 


मेरा दिल है आज बाग़ी 

इसे आज डर नहीं है

मुझे डर है बस यही कि

मैं कहीं सुधर न जाऊँ 


मुझे रोकती है दुनिया

कहीं प्यार कर न बैठूँ

है बहार जिस चमन में

मैं कभी उधर न जाऊँ 


मेरे हाथ में वो ताक़त 

फ़ौलाद भस्म कर दूँ 

मेरी आग ही है जीवन

मैं कहीं ठहर न जाऊँ 


राहुल उपाध्याय । 27 जून 2023 । रतलाम 

Sunday, June 25, 2023

आज ए-आई की धूम मची है

झूम-झूम के नाचो आज

गाओ ख़ुशी के गीत 

आज ए-आई की धूम मची है 

आज ए-आई मनमीत 


कल था कोई आँख का तारा

बेमौत मरा मेटावर्स बिचारा 

और ए-आई ने तीर वो मारा

चमक रहा है इसका सितारा

किसी को दिल का दर्द मिला है

किसी को सारी प्रीत


देखो तो कितना, खुश है ज़माना

दिल में तरंगे लब पे तराना

दिल जो दुखे आँसू न बहाना

ये तो यहाँ का ढंग पुराना

इसको मिटाना उसको बनाना, 

इस नगरी की रीत 


(मजरूह से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 26 जून 2023 । रतलाम 

ये दिल नहीं दिमाग़ है

ये दिल नहीं दिमाग है 

जो कि सोचता कुछ और है 

कभी आस है इसे साथ की

कभी दौड़ता निज दौड़ है


भाग में सबके सब न होता है 

कोई पाता है, कोई खोता है 

ये खेल है किस काम का

जिसे खेलता कोई और है 


जाल में फँस के इल्म होता है 

ये जो जीवन है इक धोखा है

ये ज़ीस्त है किसी और की 

और जी रहा कोई और है 


प्यार की बातें सब पुरानी हैं

धीरे-धीरे सब मिट जाती हैं 

ये सफ़र कटा है इस तरह 

कि दुख हो रहा अब और है


(ज़ीस्त = ज़िन्दगी)

राहुल उपाध्याय । 25 जून 2023 । मूंगेढ़ (बाँसवाड़ा), राजस्थान 



Saturday, June 24, 2023

इतवारी पहेली: 2023/06/25


इतवारी पहेली:


दूल्हा लगता है अच्छा ### #

हाँ, बस गरजे न वो ## ## #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 25 जून 2023 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 25 जून 2023 । उदयपुर 




ये जो हुआ

ये जो हुआ 

भला है, ना बुरा

फिर भला क्यूँ डरे?

फिर भला हम क्यूँ रूके?


हर तरफ़ है धुआँ 

दिल का तार बज उठा

देखो गौर से

आते-जाते राहगीर 

रूकते नहीं कोई पीर

देखो मौज है

आना-जाना रीत है 

यूँही जाती बीत है 

सारी ज़िंदगी 


ज़िन्दगी चलती है 

लेकर साथ चलती है 

अपनी धार को

सूखती जाए

भरती जाए 

अपनी धार को

पर्वतों को देख कर

साहिलों को देख कर

रूकती है नहीं 


राहुल उपाध्याय । 24 जून 2023 । सिएटल 

Friday, June 23, 2023

गेहूँ

चाची पूछने लगी

क्या अमेरिका में गेहूँ मिलता है?


मैंने कहा, हाँ 

वहाँ तो गेहूँ की बहुत खेती होती है 


नहीं, नहीं 

मैंने सोचा वहाँ तो सब ब्रेड खाते हैं ना?

तो गेहूँ कौन ख़रीदेगा?


ओह! अब समझा

हम रोटी खाते हैं 

फिर भी गेहूँ नहीं 

आटा ही ख़रीदते हैं 


और हम ऐसा

मेरठ, शिमला, कलकत्ता, जबलपुर, और दिल्ली 

में भी करते थे 


संस्कृति का देश की सीमा से कोई सम्बन्ध नहीं है 


वह बदल सकती है

गाँव से शहर जाते हुए

और कई बार गाँव के गाँव में ही 


राहुल उपाध्याय । 24 जून 2023 । रतलाम 



फ़ोटो में कितनी बातें छुप जाती हैं

फ़ोटो में 

कितनी बातें 

छुप जाती हैं 

दब जाती हैं 

गंदी गलियाँ

संकरे रास्ते 

अंधियारे गलियारे

टूटे हैण्डल

काम न करते फ्लश

समय पे न मिलती चाय

भूली हुई परात

नारियल की थैली 

अस्त-व्यस्त चप्पल 

और बस दिखते हैं 

मुस्काते चौखटे 


फ़ोटो

सब एक जैसे होते हैं 

रतलाम हो

जबलपुर हो

शिमला हो

दिल्ली हो

धड़ से ऊपर का हिस्सा 

सब जगह का एक सा ही होता है 


राहुल उपाध्याय । 24 जून 2023 । रतलाम 



अब तुम वो हसीं नहीं हो

अब तुम वो हसीं नहीं हो

जो उतर गई थी दिल में 


मसअलों के झंझट

छल-कपट के जमघट 

घेर रहे हैं तुमको

कर रहे हैं तुमको

बद से और बदतर


अब तुम वो दिलनशी नहीं हो

जो गले लगी थी जम के


ये हादसों की रातें 

ये मनमुटाव की बातें 

कुम्हला रही हैं तुमको

झुलसा रही हैं तुमको

हद से और बढ़कर 


अब तुम वो डॉल नहीं हो

जो हँस पड़ी थी झट से


राहुल उपाध्याय । 23 जून 2023 । रतलाम 





Thursday, June 22, 2023

वन डे आत्मनिर्भर

आओ बच्चों तुम्हें दिखाऊँ 

झाँकी हिन्दुस्तान की

विदेश में जा के छवि बनाए

जाने किस जहान की

वन डे आत्मनिर्भर 

वन डे बेड़ा गरक 


दाल-रोटी ग़ायब हो गई 

झूम रहा है बाजरा

सब्ज़ी-भाजी कुछ नहीं है

पी रहा ड्रिंक बावरा

देख-देख डिनर मेन्यू 

कश्ती डूबी शान की


ख़रीद लिए हैं कुछ जेट आदि

तो गर्व भला किस बात का

बिक रहा है देश हमारा

गर्व भला किस बात का

आत्मनिर्भर का झूठा नारा

कच्ची नींव मकान की


विदेश वाले ताली बजा रहे 

गिन रहे अख़बार है

किसने कब-कब पीठ ठोंकी

गिन रहे अख़बार है

किंडर्गार्डन जाते बच्चे जैसी 

हालत आला-कमान की


राहुल उपाध्याय । 23 जून 2023 । रतलाम 

Wednesday, June 21, 2023

मैं तब भी राहुल था

मैं तब भी राहुल था

जब शाह रूख खान राहुल नहीं था


मैं तब भी राहुल था

जब शाह रूख खान राहुल था


मैं आज भी राहुल हूँ 

जब शाह रूख खान राहुल नहीं है 


मैं राहुल था, राहुल हूँ 

'मासूम' के राहुल की मासूमियत लिए 

वैसी ही जैसे कि आँखों की पुतलियाँ 

जो कमोबेश वैसी ही रहती हैं 

जैसी जन्मीं


राहुल उपाध्याय । 21 जून 2023 । रतलाम के आसपास 


 

Tuesday, June 20, 2023

जय हो ग़रीबी की!

भारत के किसी भी कोने में चले जाओ

चाहे कितना ही पॉश इलाक़ा हो

हर नुक्कड़ पर ग़रीबी 

मिल जाएगी


ग़रीबी न हो तो संसार कैसे चलेगा?

बर्तन कैसे धुलेंगे?

मेट्रो तक कैसे पहुँचोगे?

चप्पल कौन सही करेगा?

कपड़े इस्त्री कौन करेगा?

गर्मागर्म नाश्ता कहाँ मिलेगा?

बच्चे स्कूल कैसे जाएँगे?

बाल कौन काटेगा?


सब अमीर हो गए

तो जीना दुभर हो जाएगा 


जय हो ग़रीबी की!


राहुल उपाध्याय । 21 जून 2023 । दिल्ली 



Monday, June 19, 2023

दस घंटे

दस घंटे

बहुत ज़्यादा हैं 

किसी से जवाब की प्रतीक्षा हो तो


दस घंटे 

बहुत कम हैं

जब ख़ुद को कुछ कर के देना हो


बैलगाड़ी से

सैलाना से शिवगढ़ जाते वक्त 

कभी सोचा नहीं था कि कोई

दस घंटे लगातार चल सकता है 

और उन दस घंटों में सिएटल से 

फ्रेंकफर्ट पहुँचा सकता है 

बिना पलक झपके 


दस घंटे काफ़ी हैं 

ऊबने के लिए

खीजने के लिए

थकने के लिए

तीन फिल्म देखने के लिए 

दो बार भोजन के लिए

कई ग्लास पानी 

और जूस पीने के लिए


हमें और आराम चाहिए 

बिस्तर चाहिए 

शावर चाहिए 

लाइनें हटे

तुरंत निकले

तुरंत भागे


बैलगाड़ी बैलगाड़ी है

घर घर है


राहुल उपाध्याय । 19 जून 2023 । फ्रेंकफर्ट