Sunday, October 31, 2021

अगर है पर्व दीवाली तो हेलोवीन भी है


https://youtu.be/cC8I2Klp7Lw


अगर है पर्व दीवाली तो हेलोवीन भी है 

ये ही तो हैं जिनसे ज़िंदगी हसीन भी है 


यहाँ बँटी है मिठाई वहाँ भी बाँटी है

यहाँ हैं बच्चे रौनक़ उधर भी छाई है

यहाँ हैं दीपक वहाँ भी रोशनाई है 


फ़िज़ा में रंग नज़ारों में जान है हमसे 

खुशी लिए ये ज़मीं आसमान है हमसे 

तीज-ओ-त्योहार की दुनिया जवान है हमसे


बड़े यकीन से आए थे इस जहाँ में हम

बड़ी शिद्दत से करते हैं याद वहाँ को हम

जहाँ से लाए थे रंग और नूर यहाँ पे हम


राहुल उपाध्याय । 30 अक्टूबर 2021 । सिएटल 



Saturday, October 30, 2021

Re: इतवारी पहेली: 2021/10/24



रवि, 24 अक्तू॰ 2021 को पू 12:05 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

इतवारी पहेली:


कहीं से शर्ट तो कहीं से ### 

हर जगह से कुछ न कुछ # ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 31 अक्टूबर को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 24 अक्टूबर 2021 । सिएटल 
















इतवारी पहेली: 2021/10/31


इतवारी पहेली:


न चली जान पहचान की, # ### #

जब भी पकड़ा गया करता ## ### 


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 7 नवम्बर को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 31 अक्टूबर 2021 । सिएटल 
















Friday, October 29, 2021

नीला आसमान

कल

मैं इतना दुखी रहूँगा 

कह नहीं सकता

लेकिन 

आज

अलसाते रास्तों से 

मुझे बहुत कोफ़्त है 

जो गुज़रते हैं 

किसी भीड़ से

मोहल्ले से

जहाँ लोग हैं

सुखी हैं या दुखी 

मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता 


हर ट्रेफ़िक लाईट पर 

झुँझलाहट होती है 

देखकर 

हँसते-रोते

बच्चे-बूढ़े-जवान


मन करता है 

सबको पैक कर दूँ 

मूविंग बाक्सेस में

और 

हाईवे पर ही दौड़ाऊँ अपनी कार 

और देखता रहूँ 

पहाड़, झरने, रंग बदलते पत्ते

नीला आसमान 


कभी

ज़मीन पर न उतरूँ 


(मम्मी के गुज़रने के 84 दिन बाद)

राहुल उपाध्याय । 29 अक्टूबर 2021 । सिएटल 





उल्टा सीधा एक समान #8

उल्टा सीधा एक समान #8

—————————


मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं। 


यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:


नाहक है कहना। 


दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है। 


आज का शब्द है:


मान 


राहुल उपाध्याय । 29 अक्टूबर 2021 । सिएटल 







Re: उल्टा सीधा एक समान #7



शुक्र, 22 अक्तू॰ 2021 को पू 7:44 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

उल्टा सीधा एक समान #7

—————————


मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं। 


यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:


नाहक है कहना। 


दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है। 


आज का शब्द है:


गाना 


राहुल उपाध्याय । 22 अक्टूबर 2021 । सिएटल 






Tuesday, October 26, 2021

प्यार हुआ है

प्यार हुआ है 

प्यार होता रहा है 

प्यार हो रहा है 


कभी इससे

कभी उससे 

कभी सबसे


प्यार करना बुरा है 

हमेशा बताया गया


प्यार करना अच्छा है

हमेशा लगता रहा 


प्यार करने की सज़ा 

मिली है 

मिलती रही है 

मिल रही है 


और

दिल है कि मानता नहीं 


कभी-कभी लगता है 

कि मैं सुकरात हूँ 


राहुल उपाध्याय । 26 अक्टूबर 2021 । सिएटल 




हमने तो प्यार किया

https://youtu.be/XUGTLpw7JuA


हमने तो प्यार किया, प्यार का इज़हार किया 

उनको है दुख कि मैंने प्यार किया, प्यार कर वार किया


हम भी चाहते तो मुकर जाते

इल्ज़ाम से लेकिन 

क्या करें प्यार किया, प्यार को स्वीकार किया


वो भी क्या चीज़ हैं, अपनों को सज़ा देते हैं 

जिसने है प्यार किया, प्यार बेशुमार किया


गिर रही हैं जहां भर की बलाएँ हम पर

जबसे है प्यार किया, प्यार पे ऐतबार किया


राहुल उपाध्याय । 23 अक्टूबर 2021 । सिएटल 



Monday, October 25, 2021

हम हैं सब काम के

https://youtu.be/V8v3Yf4D2sk


हम हैं सब काम के

कोई ना बेकार है


तेरे ख़ुद के रास्ते 

तुझको ढूँढेंगे नहीं 

मंज़र सब्ज़ बाग़ के

घर पे मिलेंगे नहीं

बढ़ तू आगे रख कदम 

मान ले कर ना वहम


अपनी बातों पे आप ही

करना अमल संसार में 

दूजों को देकर आईना 

ख़ुद न रह अंधकार में 

गर रहे तू मौज में 

सब रहेंगे शौक़ से


घटते-घटते ज़िन्दगी 

होगी तो तमाम भी

ढलते-ढलते शाम भी

देती है एक राह भी

तू भी कोई छाप छोड़ 

सब पे अपने हाथ जोड़ 


आना-जाना रीत है 

रीत में ही प्रीत है

आते-जाते मौसमों

से जीवन मनमीत है

ठहरा पानी त्याग दे

बहता दरिया थाम ले


राहुल उपाध्याय । 11 सितम्बर 2021 । सिएटल 

Sunday, October 24, 2021

Re: इतवारी पहेली: 2021/10/17



रवि, 17 अक्तू॰ 2021 को पू 3:48 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

इतवारी पहेली:


भक्त चाहते हैं कि घर #%# ##

पर भजनवाले भजन ## ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 24 अक्टूबर को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 17 अक्टूबर 2021 । शिकागो 
















इतवारी पहेली: 2021/10/24


इतवारी पहेली:


कहीं से शर्ट तो कहीं से ### 

हर जगह से कुछ न कुछ # ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 31 अक्टूबर को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 24 अक्टूबर 2021 । सिएटल 
















Saturday, October 23, 2021

लिफ़ाफ़ा

एक लिफ़ाफ़ा था

जिसमें एक चिट्ठी थी

मेरे लिए


जब चाहा पढ़ लेता था

अच्छा लगता था

पढ़ता रहता था

ख़ुश होता रहता था


एक दिन

चिठ्ठी ग़ायब हो गई

लाख ढूँढा

नहीं मिली


मैंने लिफ़ाफ़ा जला दिया 


राहुल उपाध्याय । 23 अक्टूबर 2021 । सिएटल 



Friday, October 22, 2021

उल्टा सीधा एक समान #7

उल्टा सीधा एक समान #7

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मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं। 


यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:


नाहक है कहना। 


दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है। 


आज का शब्द है:


गाना 


राहुल उपाध्याय । 22 अक्टूबर 2021 । सिएटल 






Re: उल्टा सीधा एक समान #6



शुक्र, 15 अक्तू॰ 2021 को पू 2:21 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

उल्टा सीधा एक समान #6

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मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं। 


यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:


नाहक है कहना। 


दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है। 


आज का शब्द है:


लौकी 


राहुल उपाध्याय । 15 अक्टूबर 2021 । दिल्ली 

https://mere--words.blogspot.com/2021/10/5.html?m=1





Wednesday, October 20, 2021

कविता मोहब्बत है

कविता मोहब्बत है

मोहब्बत कविता 

यह मैं तबसे जानता हूँ 

जबसे मैंने पहला गीत सुना था

शिमला में झूमा था

दार्जिलिंग में घूमा था

बस की सीट पर

ट्रेन की बर्थ पर

घर की छत पर

कई हमराही मिले

मिलते रहें 

सबमें कविता थी

सब कवितामय थीं 


आज

कविता बंदी है

क़ैद में है

फड़फड़ा रही है 

छटपटा रही है


जितनी कशिश उसकी मुस्कान में थी

खिलखिलाती हँसी में थी

उससे कई ज़्यादा उसके रूदन में है


जो एक दिन में चालीस फ़ोन करती थी

पिछले तेरह दिनों में उसका एक भी फ़ोन नहीं 

जितनी इतिहास भरी उसकी बातें थी

उससे कई ज़्यादा सम्भावना भरी उसकी ये चुप्पी है


इससे ज़्यादा 

इससे पवित्र 

इससे गहरा

इससे ऊँचा 

इससे मज़बूत 

इससे पुख़्ता 

प्यार 

कोई हो सकता है?


कविता मोहब्बत है

मोहब्बत कविता 


राहुल उपाध्याय । 20 अक्टूबर 2021 । सिएटल 


Tuesday, October 19, 2021

हर तरफ़ बेशुमार आदमी आदमी

हर तरफ़ बेशुमार आदमी आदमी 

कर रहा है बीमार आदमी आदमी 


है कहाँ, अब यहाँ, हो जो कोई चारागर 

रोगियों की क़तार आदमी आदमी 

(चारागर = इलाज करने वाला)


कोई दामन गहूँ तो मैं शायद बचूँ 

कर रहा है विचार आदमी आदमी 

(गहना = कोई वस्तु इस प्रकार हाथ में लेना कि वह छूट न सके)


मास्क ठहरता नहीं, नक़ाब उतरता नहीं 

कर रहा है श्रृंगार आदमी आदमी 


ना है प्यार, ना है प्रेम, किसी से आपको 

बन रहा होशियार आदमी आदमी 


राहुल उपाध्याय । 19 अक्टूबर 2021 । सिएटल 


Monday, October 18, 2021

रावण न हो तो दिक़्क़त है

रावण न हो तो दिक़्क़त है


हमें सुख मिलता है

रावण बनाने में 

बना के उसे जलाने में


हम नहीं चाहते कि

रावण सदा-सदा के लिए मर जाए


हम नहीं चाहते कि

हम उसे भूल जाए


हम चाहते हैं कि

यह तमाशा हर साल हो

जो नहीं जानते हैं 

वे भी जानें 

कि

देखो

हम कितने ताक़तवर हैं

किसी को बनाना 

और बना के जलाना

कितना सुखदायक है


कला भी जागृत होती है 

कविताएँ फूटती हैं

बच्चे पुतले बनाना सीख जाते हैं 

लाल-पीली आँखें 

काली-काली मूँछें 

बनाना-लगाना

कितना आनन्ददायक है

तीर-कमान भी बन जाते हैं 

अट्टहास का भी अभ्यास हो जाता है

अभिनय का भी अवसर मिल जाता है 


रावण न हो तो दिक़्क़त है …


राहुल उपाध्याय । 18 अक्टूबर 2021 । सिएटल 




Sunday, October 17, 2021

तू नदिया की धारा

तू नदिया की धारा

मैं बादल एक आवारा

तू मुझको क्यूँ चाहे

मैं तुझको क्यूँ चाहूँ 


तेरा चुम्बन धूप ले प्यारा

तुझे बाँहों में कसे किनारा

मैं तुझको क्यूँ चाहूँ 

तू मुझको क्यूँ चाहे


तेरा पिया है सागर खारा

तुझे देना उसे है सारा

तू मुझको क्यूँ चाहे

मैं तुझको क्यूँ चाहूँ 


मैं हवा के तन से लिपटूँ 

हर घड़ी मैं रूख बदल लूँ 

तू मुझको क्यूँ चाहे

मैं तुझको क्यूँ चाहूँ 


सागर तड़पे मैं निकलूँ 

मैं तड़पूँ तुझे वो निगले

ये जनम-जनम के हैं फेरे

जैसे साँझ और सवेरे

हर रोज़ आ के जग में

मिल के भी नहीं हैं मिलते


ये सदियों से होता आया

दिल चैन से कहाँ रह पाया

जीवन जोत यूँ पनपे

पनपे जग जीवन सारा


तू नदिया की धारा

मैं बादल एक आवारा …


राहुल उपाध्याय । 17 अक्टूबर 2021 । सिएटल