Thursday, October 7, 2021

सहारे से हारें, हम वो शरारे नहीं हैं

सहारे से हारें, हम वो शरारे नहीं हैं

बाढ़ में डूबें, हम वो किनारे नहीं हैं

(शरारा = चिनगारी)


भटकते नहीं, भटकाते नहीं हैं

कनखियों से करते इशारे नहीं हैं


धड़कन ही है जिनके दिल में बसी

न हम उनके, और वो हमारे नहीं हैं


हाँ हैं अनाथ, और हैं भावुक भी हम

पर हैं इंसान, हम बेचारे नहीं हैं


कल टूटें हैं कुछ, कल जुड़ेंगे और

रिश्ते ही तो हैं, ये तारे नहीं हैं 


राहुल उपाध्याय । 8 अक्टूबर 2021 । आगरा







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