Wednesday, October 13, 2021

सर्दी की धूप

एक माँ ही थीं

जो जानती थीं

कि मेरा रात भर बड़बड़ाना 

यानी मुझे बुखार है


एक माँ ही थीं

जो जानती थीं

मेरे हर मर्ज़ का मर्ज़ 

मेरे हर दर्द का दर्द 


पहले कह देती थीं

तू यह कर ले, वह कर ले


फिर चुप रहने लगीं

जानती थीं मुझे सब पता है 

कब क्या करना है

कब क्या नहीं करना है


उनका होना, न होना

मन समझ कर भी

समझ नहीं पाता


सर्दी की धूप थीं वे


न हो तो स्वेटर तो है ही


राहुल उपाध्याय । 14 अक्टूबर 2021 । कोटा


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