Saturday, October 2, 2021

तुमसे मिले हुए

तुमसे मिले हुए

कई दिन हो गए हैं 

पर लगता है जैसे

कल ही की बात है 

होंठों पे स्वाद है

साँसों में ख़ुशबू है 

हाथों को अहसास है


तुमसे बिछड़े हुए

कुछ ही दिन हुए हैं 

पर लगता है जैसे

एक युग बीत गया है

लहराते हाथ

हिलते होंठ 

डबडबाने को आतुर आँखें 

वो विदाई की छवि

धुंधली होती जा रही है 


नहीं जानता था कि

हमारी कहानी इतनी फ़िल्मी होगी


इस दुख में अब

बस यही सुख है


राहुल उपाध्याय । 3 अक्टूबर 2021 । तराना 




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2 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर सृजन

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज रविवार 03 अक्टूबर  2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है....  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!