Saturday, October 9, 2021

जब से तुमको अपना समझा

जब से तुमको अपना समझा

तब से ये ज़िन्दगानी है 

सबने मुझको पागल समझा

ये उन की नादानी है 


अपनी-अपनी फ़ितरत सबकी

कोई न किसी का दोषी है

अपने हाथों लुटते सारे 

भाग न करता हानि है

(भाग = भाग्य)


चलते-चलते साँस टूट जाए

जीवन नदिया फ़ानी है

घर-चौबारे छूटते सारे

साथ न जाती निशानी है 

(फ़ानी = न रहनेवाला)


आँख से देखी जितनी दुनिया 

जगमग-जगमग जानी है

दिल में जिसके जितना डूबा

उतनी पाई सुहानी है 


तेरी-मेरी जोड़ी ऐसी

मैं राजा, तू रानी है

हर दिन ऐसा, ऐसा सुन्दर 

जैसे प्रेम कहानी है 


राहुल उपाध्याय । 9 अक्टूबर 2021 । खजुराहो के आसपास 







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