Thursday, October 7, 2021

पाँच शर्ट

ले-दे के

पाँच ही तो शर्ट हैं

उसमें से भी

एक नहीं पहनता


उसमें 

किसी के आँसू हैं

ख़ुशबू है

सुख है

दु:ख है 

दर्द है

मिलन है

जुदाई है

हज़ारों यादें हैं

छेड़ने की

हँसने की

खेलने की

खिलाने की


वह वैसे ही रखा है

जैसा उसने रखा था

तह लगा कर 

क़रीने से


सुबह 

नहा-धोने के बाद

पहनने को बचते हैं बस दो


एक वाशिंग मशीन में है

एक जीन्स के साथ पहन नहीं सकता 

और काले रंग की पेंट है नहीं


सीमित

संकुचित 

प्रतिबंधित 

विकल्पों का आनन्द 

दिन भर साथ रहता है 


कोई माला जपता है 

कोई तप करता है

कोई नमक छोड़ता है 

कोई निम्बू-पानी पर ही रह कर

नवरात्रि का पारायण करता है 


मैं

एक शर्ट न पहनकर 

आनन्द-उल्लास से भरा रहता हूँ 


(नवरात्रि का पहला दिन)

राहुल उपाध्याय । 7 अक्टूबर 2021 । उदयपुर 










इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


2 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

नवरात्रि की मंगलकामनाएं| बहुत खूब |

Ravindra Singh Yadav said...

नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (08 -10-2021 ) को 'धान्य से भरपूर, खेतों में झुकी हैं डालियाँ' (चर्चा अंक 4211) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

#रवीन्द्र_सिंह_यादव