Sunday, July 31, 2022

भेजी सेल्फ़ी तूने

भेजी सेल्फ़ी तूने

रात बन गई है 

दोनों जहां की

ख़ुशी मिल रही है 

साथ नहीं हैं तो

कोई ग़म नहीं है 

हर एक इमोजी 

सुकून दे रही है 


तू भी है मुझ बिन

मैं भी हूँ न्यारा

करना पड़ेगा 

हमें ऐसे गुज़ारा 

जुदा हो के रहने की

घड़ी ये बड़ी है

विरह में भी वस्ल की 

कली खिल रही है 


हरेक पिक्सल में तू

ग़ज़ब लग रही है 

हरेक टेक्स्ट में तू

प्यार भर रही है

हरेक पोस्ट पे तू

रिएक्ट कर रही है 

हरेक पोस्ट पे तू

क्लिक कर रही है 


कभी कॉल आए तो

दिल झूम जाए

घंटियों की नाद

मधुर धुन गाए

वीडियो कॉल से

आस जगी है 

मिलन की घड़ी 

अब दूर नहीं है 


राहुल उपाध्याय । 1 अगस्त 2022 । अमरगढ़ (उत्तर प्रदेश)



इतवारी पहेली 2022/07/31


इतवारी पहेली:


इतनी ख़तरनाक थी शपथ ग्रहण की # ###

कि कुछ को तो वहीं के वहीं हो गई ####


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 24  जुलाई को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 31 जुलाई 2022 । पट्टी (उत्तर प्रदेश)
















होना होता है

होना होता है 

तो आठ दिन में हो जाता है 

बरहामपुर में


नहीं होना होता है 

तो नहीं होता है छ: साल में

कलकत्ता में


आप

किसी तीर्थ यात्रा में शामिल हो 

अमरनाथ, वैष्णोदेवी 

सब कर सकते हो 

लेकिन प्यार नहीं कर सकते


आप

रतलाम से प्रयागराज की टिकट

बनवा सकते हैं 

प्रयागराज जा भी सकते हैं 

लेकिन प्यार नहीं कर सकते


प्यार वह होता है 

जब अल-सुबह उठ कर

सलाद प्रेम से ओतप्रोत बनाकर

दिया जाता है 


प्यार वह होता है 

जब 24 घंटे में तीन बार

मिल लिया जाता है 


प्यार वह होता है 

जब एक ही स्ट्रॉ से

दोनों जूस पी लेते हैं 


प्यार वह होता है 

जब कुछ फ़ोटो ली जातीं हैं 

पर स्टेटस पर दिखाई नहीं जातीं


प्यार वह होता है 

जब नीली शर्ट

आँसूओं से भीग जातीं हैं 


प्यार वह होता है 

जब पीले शर्ट पर

काजल के निशान बन जाते हैं 


प्यार वह होता है 

जब प्लेन छूटने वाला है 

और आलिंगन से छूटने की

जल्दी न समझ आए


राहुल उपाध्याय । 31 जुलाई 2022 । चिलबिला (उत्तर प्रदेश)





Friday, July 29, 2022

आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर दिमाग़ में

आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर दिमाग़ में

सबको मालूम है और सबको खबर हो गई


क्या हुआ क्यों हुआ ये कहाँ है खबर

सारा का सारा शहर हुआ दुश्मन मगर


ना ही लैला ना ही मजनू ना ही शीरी-फ़रहाद हम

फिर भी क्यूँ तरसे हैं दरस को एक दूजे के हम


प्यार की एक मिठास, प्यार की एक गंध

है बहुत अब चाहे हो जाए ज़िन्दगी का भी अंत


राहुल उपाध्याय । 30 जुलाई 2022 । मनौरी (उत्तर प्रदेश)

http://mere--words.blogspot.com/2022/07/blog-post_92.html?m=1



आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर दिमाग़ में

आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर दिमाग़ में

सबको मालूम है और सबको खबर हो गई


क्या हुआ क्यों हुआ ये कहाँ है खबर

सारा का सारा शहर हुआ दुश्मन मगर


ना ही लैला ना ही मजनू ना ही शीरी-फ़रहाद हम

फिर भी क्यूँ तरसे हैं दरस को एक दूजे के हम


प्यार की एक मिठास, प्यार की एक गंध

है बहुत अब चाहे हो जाए ज़िन्दगी का भी अंत


राहुल उपाध्याय । 30 जुलाई 2022 । मनौरी (उत्तर प्रदेश)


तेरा-मेरा मेल न था

तेरा-मेरा मेल न था

न थी कोई ख़ास वजह

अपनी फ़ितरत ही कुछ ऐसी थी 

के प्यार हो ही गया


तू है तारों की चमक 

मैं हूँ कालिख मगर

तू है फूलों की महक 

मैं हूँ इक ख़ाक मगर

न किया दान कोई

न मिला वरदान मगर


तूने क्या देख लिया 

कि तू मेरे साथ हुई 

मुझमें क्या है जो के 

मेरी कायनात हुई

तू ही है ख़ास वजह

तूने ही किया ये करम


राहुल उपाध्याय । 30 जुलाई 2022 । खागा (उत्तर प्रदेश)

Saturday, July 23, 2022

आदमी आलसी है

आदमी आलसी है, 

खाता है, पीता है, 

खाने-पीने-सोने में 

जीवन बीत जाता है 


झूठी ये दुनिया, झूठी ये माया

झूठी है पर सच दिखती है काया

जाती है जल तो दिल गाता है 


सबको पता है कोई न समझे

खाने-पीने में बस रोज़ उलझे

करना क्या है भूल जाता है 


अपना जहाँ ये अपना कहाँ है 

ये जग तेरा-मेरा कहाँ है 

ज्ञानी वही जो सब छोड़ पाता है 


दो दिन का रेला हर पल नहीं है 

जो इस पल वो उस पल नहीं है

आते-आते सब खो जाता है 


राहुल उपाध्याय । 23 जुलाई 2022 । होशियारपुर 

Thursday, July 21, 2022

लानत है अलामत पर

लानत है अलामत पर

चमचों की सदारत पर

(अलामत = प्रतीकसदारत = अध्यक्षतासभापतित्व)


हाथों में है ऐसा बल

बरसेंगे क़यामत पर


कराटे में है ब्लैक बेल्ट 

कलियों की नज़ाकत पर


दुनिया ये अपनी नहीं 

जीती जो तिजारत पर

(तिजारत = लेन-देन)


दोस्ती पे भरोसा है 

ज़्यादा पर अदावत पर

(अदावत = दुश्मनी)


राहुल उपाध्याय  22 जुलाई 2022  चाक सकता (जम्मू), रवि नदी के तट पर

Wednesday, July 20, 2022

शान अपनी मिटाने मैं आया यहाँ

चक्र जीवन का एक पल ठहरता नहीं 

वक्त एक सा किसी का भी रहता नहीं 

माथ अपना झुकाने मैं आया यहाँ 

शान अपनी मिटाने मैं आया यहाँ 


लड़ता हूँ रोज़ हज़ारों दिशाओं से मैं 

मानता हूँ कि सब कुछ चलाता हूँ मैं

बाल-बच्चों का जीवन ख़ुशहाल हो

इसलिए झंझट हज़ारों उठाता हूँ मैं

जबकि तू ही तो है जो कि करतार है 

राह फिर से ये पाने मैं आया यहाँ 


हार पाई भी मैंने, तो पहना भी हार 

सुख पाया भी मैंने, तो रोया बहुत

सब माया तेरी, न आई समझ 

बार-बार सोचा कि खोया बहुत 

कई बार तुझको तो कोसा भी है 

आज तुझको मनाने मैं आया यहाँ 


लोग मिलते गए, लोग बिछड़ते गए

बंधु-बांधव से तकरार भी हो गए

दिल लगाया कभी, दिल दुखाया कभी 

कसमें-वादे सभी सब हवा हो गए

तू ही तो मेरा जो सदा साथ है 

हाथ अपना थमाने मैं आया यहाँ 


राहुल उपाध्याय । 20 जुलाई 2022 । बनिहाल (कश्मीर)


Sunday, July 17, 2022

इतवारी पहेली: 2022/07/10

इतवारी पहेली: 2022/07/17


इतवारी पहेली:


जिसे पाने की ## ## है 

वो करता सतत #%## है


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 24  जुलाई को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 17 जुलाई 2022 । भादवा माता 
















जागो वीर जागो

मैंने उससे कहा था छ: बजे उठा देना। उसने तीसरी शताब्दी में ही उठा दिया। 


जागो वीर जागो। मनोज मुंतशिर ने गर्मी के मौसम में फिर से एक चकाचक सूट धारण कर गड़े मुर्दे उखाड़ने शुरू कर दिए हैं। 


तुम तुरत-फुरत रवीश कुमार की पोस्ट खंगालो और उसे एक अच्छा सा जवाब दो। जो तुम्हें यह फ़ॉरवर्ड कर रहे हैं उन्हें भी। 


और बाक़ी पुष्पेन्द्र जी आदि को भी कुछ समझाओ। 


अभी इनका प्रभावमंडल तेज है। एक दिन बाबा रामदेव की तरह इनको भी कोई नहीं सुनेगा। 


राहुल उपाध्याय । 17 जुलाई 2022 । सिएटल 


Friday, July 15, 2022

ना कोई कष्ट है

ना कोई कष्ट है

ना कोई जंग है

मेरे इष्ट देवता 

मेरे संग-संग हैं


जब से खुली है आँख ये 

पाया है सब उनसे

पाई है चाँदनी कभी

तो पाई है धूप उनसे 

वे ही मेरे रूप हैं

वे ही मेरे रंग हैं


हँसती रही है ज़िन्दगी

हँसती ही जा रही

मन की हर एक तान

गुण उनके गा रही

यही मेरी रीत है

यही मेरा ढंग है 


जब से हुआ है ज्ञान 

वे ही हैं सब मेरे

तब से हैं प्राण-प्राण 

चरणों में हवन मेरे

कहाँ मेरा, सब उनका, 

हर अंग है 


राहुल उपाध्याय । 16 जुलाई 2022 । जम्मू से कटरा जाते हुए


Thursday, July 14, 2022

पॉपकॉर्न देशभक्ति

मैं कल 

उस गली के द्वार तक जाकर आया

जिसके उस पार जाते ही

आदमी की सोच बदल जाती है 

देशद्रोही क़रार दिया जाता है 

हज़ारों फ़ॉर्म पर

हज़ारों बार भरना पड़ता है 

कि

आप वहाँ कब, क्यूँ और कैसे गए

किससे मिले

कहाँ खाया-पीया 

क्या-क्या खाया-पीया


और हाँ वहाँ रोज़ सूर्यास्त के वक्त 

सर्कस भी होता है 

जहाँ छाती ठोंक कर

दुश्मनी का जयघोष किया जाता है 

उनकी आवाज़ हमारे कानों में न पड़ जाए

इसलिए ज़बरदस्ती ज़बरदस्त शोर करवाया जाता है 

बॉलीवुड के गानों पर 

(लता वाले नहीं, कविता कृष्णमूर्ति के)

(दिल दिया है जाँ भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए)

दर्शकों में से लड़कियों से 

(जी, सिर्फ़ लड़कियों से)

नाचने को कहाँ जाता है 

वे मस्त हो कर नाचती हैं

आक्रमण के भाव में 

बड़े-बड़े झण्डे फहरातीं है 

दर्शक दीर्घा में बैठे हम

ताली बजाते हैं 

नारे लगाते हैं 

आईसक्रीम खाते हैं 

पॉपकॉर्न खाते हैं 

शो ख़त्म होता है 

सब घर चले जाते हैं 


पॉपकॉर्न ख़त्म 

देशभक्ति ख़त्म 


सीमा सुरक्षा बल के जवान

जिस पथ पर परेड करते हैं 

उसी पथ पर उनसे कंधा मिलाकर 

खोमचे वाले पॉपकॉर्न बेचते हैं 

गरिमा पर आँच आने की 

किसी को चिंता नहीं है 

हम सोचते हैं जवान आएगा 

और पॉपकॉर्न वाला निकल आता है 


जिस दिन

दुश्मनी का भाव ख़त्म हुआ

यह शो बंद हो जाएगा 

दुश्मनी इसके प्राण हैं


अमृतसर से मात्र पन्द्रह मील दूर है लाहौर 

इतनी कम दूरी पर शायद ही कोई शहर हों

और इतने ज़्यादा दूर भी शायद ही कोई हो


(अटारी सीमा पर जाने के बाद)

राहुल उपाध्याय । 14 जुलाई 2022 । जम्मू 

http://mere--words.blogspot.com/2022/07/blog-post_49.html?m=1








पॉपकॉर्न देशभक्ति

मैं कल 

उस गली के द्वार तक जाकर आया

जिसके उस पार जाते ही

आदमी की सोच बदल जाती है 

देशद्रोही क़रार दिया जाता है 

हज़ारों फ़ॉर्म पर

हज़ारों बार भरना पड़ता है 

कि

आप वहाँ कब, क्यूँ और कैसे गए

किससे मिले

कहाँ खाया-पीया 

क्या-क्या खाया-पीया


और हाँ वहाँ रोज़ सूर्यास्त के वक्त 

सर्कस भी होता है 

जहाँ छाती ठोंक कर

दुश्मनी का जयघोष किया जाता है 

उनकी आवाज़ हमारे कानों में न पड़ जाए

इसलिए ज़बरदस्ती ज़बरदस्त शोर करवाया जाता है 

बॉलीवुड के गानों पर 

(लता वाले नहीं, कविता कृष्णमूर्ति के)

(दिल दिया है जाँ भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए)

दर्शकों में से लड़कियों से 

(जी, सिर्फ़ लड़कियों से)

नाचने को कहाँ जाता है 

वे मस्त हो कर नाचती हैं

आक्रमण के भाव में 

बड़े-बड़े झण्डे फहरातीं है 

दर्शक दीर्घा में बैठे हम

ताली बजाते हैं 

नारे लगाते हैं 

आईसक्रीम खाते हैं 

पॉपकॉर्न खाते हैं 

शो ख़त्म होता है 

सब घर चले जाते हैं 


पॉपकॉर्न ख़त्म 

देशभक्ति ख़त्म 


सीमा सुरक्षा बल के जवान

जिस पथ पर परेड करते हैं 

उसी पथ पर उनसे कंधा मिलाकर 

खोमचे वाले पॉपकॉर्न बेचते हैं 

गरिमा पर आँच आने की 

किसी को चिंता नहीं है 

हम सोचते हैं जवान आएगा 

और पॉपकॉर्न वाला निकल आता है 


जिस दिन

दुश्मनी का भाव ख़त्म हुआ

यह शो बंद हो जाएगा 

दुश्मनी इसके प्राण हैं


अमृतसर से मात्र पन्द्रह मील दूर है लाहौर 

इतनी कम दूरी पर शायद ही कोई शहर हों

और इतने ज़्यादा दूर भी शायद ही कोई हो


(अटारी सीमा पर जाने के बाद)

राहुल उपाध्याय । 14 जुलाई 2022 । जम्मू