Wednesday, July 20, 2022

शान अपनी मिटाने मैं आया यहाँ

चक्र जीवन का एक पल ठहरता नहीं 

वक्त एक सा किसी का भी रहता नहीं 

माथ अपना झुकाने मैं आया यहाँ 

शान अपनी मिटाने मैं आया यहाँ 


लड़ता हूँ रोज़ हज़ारों दिशाओं से मैं 

मानता हूँ कि सब कुछ चलाता हूँ मैं

बाल-बच्चों का जीवन ख़ुशहाल हो

इसलिए झंझट हज़ारों उठाता हूँ मैं

जबकि तू ही तो है जो कि करतार है 

राह फिर से ये पाने मैं आया यहाँ 


हार पाई भी मैंने, तो पहना भी हार 

सुख पाया भी मैंने, तो रोया बहुत

सब माया तेरी, न आई समझ 

बार-बार सोचा कि खोया बहुत 

कई बार तुझको तो कोसा भी है 

आज तुझको मनाने मैं आया यहाँ 


लोग मिलते गए, लोग बिछड़ते गए

बंधु-बांधव से तकरार भी हो गए

दिल लगाया कभी, दिल दुखाया कभी 

कसमें-वादे सभी सब हवा हो गए

तू ही तो मेरा जो सदा साथ है 

हाथ अपना थमाने मैं आया यहाँ 


राहुल उपाध्याय । 20 जुलाई 2022 । बनिहाल (कश्मीर)


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