Sunday, July 31, 2022

भेजी सेल्फ़ी तूने

भेजी सेल्फ़ी तूने

रात बन गई है 

दोनों जहां की

ख़ुशी मिल रही है 

साथ नहीं हैं तो

कोई ग़म नहीं है 

हर एक इमोजी 

सुकून दे रही है 


तू भी है मुझ बिन

मैं भी हूँ न्यारा

करना पड़ेगा 

हमें ऐसे गुज़ारा 

जुदा हो के रहने की

घड़ी ये बड़ी है

विरह में भी वस्ल की 

कली खिल रही है 


हरेक पिक्सल में तू

ग़ज़ब लग रही है 

हरेक टेक्स्ट में तू

प्यार भर रही है

हरेक पोस्ट पे तू

रिएक्ट कर रही है 

हरेक पोस्ट पे तू

क्लिक कर रही है 


कभी कॉल आए तो

दिल झूम जाए

घंटियों की नाद

मधुर धुन गाए

वीडियो कॉल से

आस जगी है 

मिलन की घड़ी 

अब दूर नहीं है 


राहुल उपाध्याय । 1 अगस्त 2022 । अमरगढ़ (उत्तर प्रदेश)



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