Monday, October 25, 2021

हम हैं सब काम के

https://youtu.be/V8v3Yf4D2sk


हम हैं सब काम के

कोई ना बेकार है


तेरे ख़ुद के रास्ते 

तुझको ढूँढेंगे नहीं 

मंज़र सब्ज़ बाग़ के

घर पे मिलेंगे नहीं

बढ़ तू आगे रख कदम 

मान ले कर ना वहम


अपनी बातों पे आप ही

करना अमल संसार में 

दूजों को देकर आईना 

ख़ुद न रह अंधकार में 

गर रहे तू मौज में 

सब रहेंगे शौक़ से


घटते-घटते ज़िन्दगी 

होगी तो तमाम भी

ढलते-ढलते शाम भी

देती है एक राह भी

तू भी कोई छाप छोड़ 

सब पे अपने हाथ जोड़ 


आना-जाना रीत है 

रीत में ही प्रीत है

आते-जाते मौसमों

से जीवन मनमीत है

ठहरा पानी त्याग दे

बहता दरिया थाम ले


राहुल उपाध्याय । 11 सितम्बर 2021 । सिएटल 

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