संग भी इन दिनों सलामत नहीं
ताज बने ऐसी हालत नहीं
विदेशियों पे करते हैं इतना भरोसा
कि देश में पनपती सदारत नहीं
चिपके ओबामा और मार्क से ऐसे
मानो इनके बिना बढ़ेगा भारत नहीं
डॉलर शहद और मक्खी हैं हम
शहद चाटनेवाले देते शहादत नहीं
मरे कोई, किसी को जँचता नहीं
कहने की करते सब हिमाक़त नहीं
संग = पत्थर
सदारत = नेतृत्व, leadership
शहादत = शहीद होना
हिमाक़त = मूर्खतापूर्ण साहस
8 अक्टूबर 2015
सिएटल । 425-445-0827
1 comments:
"सरादत", "शहादत", "हिमाक़त" बहुत hard शब्द हैं और कविता को समझने के लिए ज़रूरी हैं। Thank you कि आपने उनका अर्थ बता दिया।
आपकी बात सही है कि materialist nature का person बलिदान नहीं दे सकता। किसी भी प्रकार का बलिदान देने के लिए selflessness और higher goal की aspiration चाहिए। अगर लोग dollar, rupee, या किसी material चीज़ से लगाव रखेंगे तो वो बलिदान नहीं देंगे - चाहे वो स्वदेश में रहते हों या विदेश में।
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