Tuesday, April 27, 2021

कहाँ पर है ईश्वर

https://youtu.be/lyzkHu7p3H8 


कहाँ पर है ईश्वर 

कहाँ पर ख़ुदा है

कहाँ पर है वो 

जो सुनता दुआ है 


सुना हर दुख की 

होती उमर है

मगर आज क्या है 

कैसा पहर है 

जिधर जाऊँ मंज़र 

दुख से भरा है


जो आया है इक दिन

जाएगा इक दिन 

साँसों की माला

तोड़ेगा इक दिन 

ये माना है जग ने

किया कब गिला है


मोहब्बत के दम पे

है दुनिया की रौनक़ 

मोहब्बत ही तो है 

जो सच्ची है दौलत

मोहब्बत के ही दम से

महफिल जवाँ है

दिल ही तो है 

जो सुनता दुआ है 


दिल में है ईश्वर 

दिल में ख़ुदा है

दिल ही तो है 

जो सुनता दुआ है 


राहुल उपाध्याय । 26 अप्रैल 2021 । सिएटल 


Sunday, April 25, 2021

इतवारी पहेली: 2021/04/25


इतवारी पहेली:


देखो दिल का बचपना # #

जो चले गए संजोए उनके ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 2 मई को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 25 अप्रैल 2021 । सिएटल















Friday, April 23, 2021

तुम जो बाहों में आओ

तुम जो बाहों में आओ

मैं बाजुओं में कुछ दम भी लाऊँ 

तुम जो सुनो

मैं एक ग़ज़ल भी गाऊँ 


सुर, सुख़न, सुख

सब तुमसे वाबस्ता हैं

तुम हाथ बढ़ा कर तो देखो

मैं तुम्हें पूरी कायनात दिखाऊँ 


आयफल-ताज खुले भी होते तो

उनमें वो बात कहाँ 

जो

तुम्हारे बालों की महक में है

तुम्हारे गालों की दहक में है

आवाज़ की खनक में है

दांतों की चमक में है

हाथों के स्पर्श में है 

ज़ुबां के स्वाद में है

आँखों के ख़्वाब में है

अधरों की प्यास में है

अनछुई आग में है


कायनात का अहसास

खुदाई का आभास

जन्नत का भाव

सब तुम में ही तो है


तुम हाथ बढ़ा कर तो देखो

मैं तुम्हें पूरी कायनात दिखाऊँ 


राहुल उपाध्याय । 23 अप्रैल 2021 । सिएटल 

सुख़न = शायरी 

वाबस्ता = जुड़े हुए

कायनात = सृष्टि 

आयफल = आयफल टॉवर









Monday, April 19, 2021

हमारी प्रेम कहानी

वह

लिखती है

भेजती है

और मैं पढ़ पाऊँ

उससे पहले 

मिटा देती है

मेसेजेस 

व्हाट्सेप पर

जैसे कोई 

रेत पर

लिखे-मिटाए


कितनी आधुनिक 

और कितनी पुरानी 

है हमारी प्रेम कहानी 


दुख होता है

कि जो तुमने लिखा 

वो पढ़ नहीं पाया


ख़ुशी होती है

कि तुम मुझसे ख़फ़ा हो


राहुल उपाध्याय । 19 अप्रैल 2021 । सिएटल 



चाय बिना चैन कहाँ रे

https://youtu.be/jyxEHWE9VI8


चाय बिना चैन कहाँ रे

सोना नहीं चाँदी नहीं 

चाय तो पिला

अरे चाय भर दे


कोई नया सपना निगाहों में तो है

कोई नया साथी नयी राहों में तो है

दिल जो मिलेंगे तकदीर बनेगी

ज़िंदगी की नयी तस्वीर बनेगी

चाय ले ये कट और चार कर दे


यार हमें पेप्सी नहीं चाय चाहिए

अद्रक वाली ज़ायक़ेदार चाय चाहिए 

हीरे मोतियों से जड़ा कप ना तू दे

कुल्हड़ में बसा संसार चाहिए 

पारले जी भी दे के उपकार कर दे


राहुल उपाध्याय । 19 अप्रैल 2021 । सिएटल 

Saturday, April 17, 2021

इतवारी पहेली: 2021/04/18


इतवारी पहेली:


हर कुम्भ में हमें नज़र आते हैं ##

क्या बेसुरे हैं जो हम कहते हैं # #?


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 25 अप्रैल को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 18 अप्रैल 2021 । सिएटल















Friday, April 16, 2021

अनुबंध

हमारे अगले 33 साल के

अलिखित अनुबंधों की वजह से

मैं स्वस्थ रहूँगा 

जीवित रहूँगा 

हर संकट से उबर जाऊँगा


अनुबंध हैं

तो जीवन है


पिछले 13 सालों में

ऐसे ही कई अलिखित अनुबंधों ने

मुझे ताक़त दी थी

उम्मीद की राह दिखाई थी

लेकिन अफ़सोस 

कुछ तीन महीने

तो कुछ तीन साल में ही

ख़ारिज हो गएँ


शायद ये भी

रद्द हो जाएँ


कहते हैं 

हमारे शरीर में

रोज़ लाखों कोशिकाएँ 

बनती-बिगड़ती रहती हैं


शायद 

बनना-बिगड़ना ही

जीवन है


राहुल उपाध्याय । 16 अप्रैल 2021 । सिएटल 





Tuesday, April 13, 2021

धोखा

भगवान भी

झूठ बोलते हैं 

धोखा देते हैं 

दुनिया की आँखों में धूल झोंकते हैं

अपनी सीता को छुपाकर

नक़ली का अपहरण करवाते हैं 

नक़ली की अग्नि परीक्षा का

स्वाँग रचते हैं 

और 

करोड़ों असली नारियों को

झुलसने को मजबूर कर देते हैं


राहुल उपाध्याय । 13 अप्रैल 2021 । सिएटल 


अरण्यकाण्ड के 24वें दोहे में पता चलता है कि सीताजी नहीं सीताजी के प्रतिबिम्ब का अपहरण हुआ था। 

चौपाई :

* सुनहु प्रिया ब्रत रुचिर सुसीला। मैं कछु करबि ललित नरलीला॥

तुम्ह पावक महुँ करहु निवासा। जौ लगि करौं निसाचर नासा॥1॥


भावार्थ:-हे प्रिये! हे सुंदर पतिव्रत धर्म का पालन करने वाली सुशीले! सुनो! मैं अब कुछ मनोहर मनुष्य लीला करूँगा, इसलिए जब तक मैं राक्षसों का नाश करूँ, तब तक तुम अग्नि में निवास करो॥1॥


* जबहिं राम सब कहा बखानी। प्रभु पद धरि हियँ अनल समानी॥

निज प्रतिबिंब राखि तहँ सीता। तैसइ सील रूप सुबिनीता॥2॥


भावार्थ:-श्री रामजी ने ज्यों ही सब समझाकर कहा, त्यों ही श्री सीताजी प्रभु के चरणों को हृदय में धरकर अग्नि में समा गईं। सीताजी ने अपनी ही छाया मूर्ति वहाँ रख दी, जो उनके जैसे ही शील-स्वभाव और रूपवाली तथा वैसे ही विनम्र थी॥2॥

* लछिमनहूँ यह मरमु न जाना। जो कछु चरित रचा भगवाना॥

दसमुख गयउ जहाँ मारीचा। नाइ माथ स्वारथ रत नीचा॥3॥


भावार्थ:-भगवान ने जो कुछ लीला रची, इस रहस्य को लक्ष्मणजी ने भी नहीं जाना। स्वार्थ परायण और नीच रावण वहाँ गया, जहाँ मारीच था और उसको सिर नवाया॥3॥



 



Saturday, April 10, 2021

इतवारी पहेली: 2021/04/11


इतवारी पहेली:


हो देख उसे ऐसी ### ##

कि लूँ दस बाल्टी ## ###


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 18 अप्रैल को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 11 अप्रैल 2021 । सिएटल















बीमारी कोई भड़के

https://youtu.be/YufiMNWTDRo


बीमारी कोई भड़के तो लॉकडाउन उसे दबाए

लॉकडाऊन में जो चुनाव कराए उसे कौन जीताएँ

संकट में जो नैया अटके उसे श्रमिक पार लगाए

जो श्रमिक काम को तरसेउसे कौन दिलाए


हमसे मत पूछो कैसे मसला बिगड़ा वायरस का

लोगों की बात नहीं है ये किस्सा है हम सब का

कोई वायरस सेंध लगाये तो मास्क जिया बचाए

मन मीत न मास्क लगाए उसे कौन बचाए


न जाने क्या हो जाता जाने हम कब के मर जाते

घर पे हैं तो ज़िन्दा है न होते तो मर जाते

दुनिया जो वादा रखे मुसीबत टल भी जाए

आफ़त जो आप बुलाए उसे कौन बचाए


माना तूफ़ाँ के आगे नहीं चलता ज़ोर किसीका

मौजों का दोष नहीं है ये दोष है और किसी का

मँझधार में नैया डोले तो माँझी पार लगाए

माझी जो नाव डुबोएउसे कौन बचाए


(आनन्द बक्षी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 9 अप्रैल 2021 । सिएटल 


Thursday, April 8, 2021

तुम कैसे रोग हो?

https://youtu.be/dh0YNHz2JO0


जहाँ मैं जाता हूँ वहीं चले आते हो

चोरी-चोरी मेरे तन में समाते हो

ये तो बताओ कि तुम कैसे रोग हो


सर से पाँव तक अगन की ये बात है

दिन की रात की थकन की ये बात है

ये तो बताओ कि तुम कैसे रोग हो


ओ, मैं तो मास्क लगाऊँगा

करनी तुम्हारी से बच जाऊँगा     

खैर जो चाहो चले जाओ मेरे दर से

छोड़ो ये आना-जाना मेरे नगर से

ये तो बताओ कि तुम कैसे रोग हो


ओ, तूने क्यों दु:ख दिया है

रोग दे कर चैन ले लिया है

किसी बड़े ज्ञानी-ध्यानी को बुलाओ

अभी-अभी यहीं फ़ैसला कराओ

उनसे पूछेंगे हम तुम कैसे रोग हो


ओ, अपने अब हैं बेगाने

कहना हमारा अब कौन माने

ये तो बताओ कि तुम कैसे रोग हो


(शैलेंद्र से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 8 अप्रैल 2021 । सिएटल 


Wednesday, April 7, 2021

इमोजी

इमोजी 

जो कभी जीवंत थे

आज मृतप्राय हैं


जिस ❤️ को देखते ही 

♥️ 🕺 लगता था

अब एक पिचका हुआ सा

रंगहीन ग़ुब्बारा लगता है


कल का 😂

आज टोटल फेल है


🤣😘🥰😁😆😭👏👍💃🙈🙄🤦‍♀️

सब बेमानी हो चुके हैं


🌹💖❣️💕🌺💘😘

ख़ैरात में बाँटे जाते हैं 


कोई भी इमोजी 

इतना ख़ास नहीं कि

किसी ख़ास के लिए

सम्भाल कर रखा जाए


कभी टीवी

तो कभी फ़ेसबुक 

और आज व्हाट्सेप

सब से हम एक-एक कर के

एक न एक दिन

चट ही जाते हैं 


यूट्यूब 

टेलिग्राम

इन्स्टाग्राम

ये सब भी

एक दिन 

धूल चाटेंगे 


आज 

चहकते हैं

कल

दफ़नाए जाएँगे 


यह होता है

और यही होता आया है 

जो कल तक भाता था

आज बासता है


राहुल उपाध्याय । 7 अप्रैल 2021 । सिएटल 












वैक्सीन बनाने वाले

https://youtu.be/G3vrYFWD-jA


वैक्सीन बनाने वाले

क्या तेरे मन में समाई 

काहे ना रोज़ी बनाई

तूने काहे ना रोज़ी बनाई


फ़्री में वैक्सीन, महँगी है रोटी

किसने रची ये चाल ऐसी खोटी

भूखे मरे कोई, कोई न पूछे

रोगी बढ़े, इनके पसीने हैं छुटे

अपनी भलाई देखी, वैक्सीन की बात बढ़ाई 


धरती ये कैसी रब ने बनाई

फ़्री में धूप और फ़्री में सिंचाई 

जितने चाहे उतने फल कोई खाए

उसने ने न कभी कोई दाम लगाए 

अपने आप हमने, बगिया में आग लगाई


ऐसा नहीं हम मेहनत न करते

कर के भी मेहनत घर नहीं चलते

पलते हैं बस झूठे ख़्वाब हैं पलते

दिन के उजाले में वो आँखों में जलते

अंधेरा होने पर भी, चलती जाए रूलाई 


राहुल उपाध्याय । 6 अप्रैल 2021 । सिएटल 

डर कर दुनिया के सारे

https://youtu.be/EdkcnsNeb-Q 


डर के दुनिया के सारे

फँसे थे घर में बेचारे

लगी जब उन को वैक्सीन 

हो गएँ वे जवाँ रे


प्यार-मोहब्बत के वादे

जो रहे आधे-आधे

होंगे अब जा के पूरे

मिल के हँसते-हँसाते 


क्या सही आदमी है

आफ़त जब भी पड़ी है

मानी हार कभी ना

लड़ाई जम के लड़ी है


दुख कहीं आज भी है

भूख और प्यास भी है

एक-एक कर दु:ख सारे

दूर होंगे आस भी है 


राहुल उपाध्याय । 5 अप्रैल 2021 । सिएटल 

Tuesday, April 6, 2021

पहनोगे मास्क तो

https://youtu.be/tgYUxyg6V4Q 


पहनोगे मास्क तो महामारी भाग जाएगी

समूचे विश्व की तबीयत सुधर जाएगी 


ये मास्क जीते-जागतों का इक निशाँ होगा

धड़कते दिल का यही एक राज़दां होगा

बहार आएगी ख़ुशबू बिखेर जाएगी 


सदी के रोग का किस्सा बयां सदा होगा 

सभी के हाथ से लिख्खा हुआ बयां होगा

कहानी-गीत कोई नानी गा सुनाएगी 


कभी तो आग को पानी से हारना होगा

हारे हैं आज मगर कभी तो जीतना होगा 

इसी उम्मीद में ज़िन्दगी बीत जाएगी 


राहुल उपाध्याय । 4 अप्रैल 2021 । सिएटल