Friday, April 16, 2021

अनुबंध

हमारे अगले 33 साल के

अलिखित अनुबंधों की वजह से

मैं स्वस्थ रहूँगा 

जीवित रहूँगा 

हर संकट से उबर जाऊँगा


अनुबंध हैं

तो जीवन है


पिछले 13 सालों में

ऐसे ही कई अलिखित अनुबंधों ने

मुझे ताक़त दी थी

उम्मीद की राह दिखाई थी

लेकिन अफ़सोस 

कुछ तीन महीने

तो कुछ तीन साल में ही

ख़ारिज हो गएँ


शायद ये भी

रद्द हो जाएँ


कहते हैं 

हमारे शरीर में

रोज़ लाखों कोशिकाएँ 

बनती-बिगड़ती रहती हैं


शायद 

बनना-बिगड़ना ही

जीवन है


राहुल उपाध्याय । 16 अप्रैल 2021 । सिएटल 





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