बीमारी कोई भड़के तो लॉकडाउन उसे दबाए
लॉकडाऊन में जो चुनाव कराए उसे कौन जीताएँ
संकट में जो नैया अटके उसे श्रमिक पार लगाए
जो श्रमिक काम को तरसेउसे कौन दिलाए
हमसे मत पूछो कैसे मसला बिगड़ा वायरस का
लोगों की बात नहीं है ये किस्सा है हम सब का
कोई वायरस सेंध लगाये तो मास्क जिया बचाए
मन मीत न मास्क लगाए उसे कौन बचाए
न जाने क्या हो जाता जाने हम कब के मर जाते
घर पे हैं तो ज़िन्दा है न होते तो मर जाते
दुनिया जो वादा रखे मुसीबत टल भी जाए
आफ़त जो आप बुलाए उसे कौन बचाए
माना तूफ़ाँ के आगे नहीं चलता ज़ोर किसीका
मौजों का दोष नहीं है ये दोष है और किसी का
मँझधार में नैया डोले तो माँझी पार लगाए
माझी जो नाव डुबोएउसे कौन बचाए
(आनन्द बक्षी से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 9 अप्रैल 2021 । सिएटल
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