कहाँ पर है ईश्वर
कहाँ पर ख़ुदा है
कहाँ पर है वो
जो सुनता दुआ है
सुना हर दुख की
होती उमर है
मगर आज क्या है
कैसा पहर है
जिधर जाऊँ मंज़र
दुख से भरा है
जो आया है इक दिन
जाएगा इक दिन
साँसों की माला
तोड़ेगा इक दिन
ये माना है जग ने
किया कब गिला है
मोहब्बत के दम पे
है दुनिया की रौनक़
मोहब्बत ही तो है
जो सच्ची है दौलत
मोहब्बत के ही दम से
महफिल जवाँ है
दिल ही तो है
जो सुनता दुआ है
दिल में है ईश्वर
दिल में ख़ुदा है
दिल ही तो है
जो सुनता दुआ है
राहुल उपाध्याय । 26 अप्रैल 2021 । सिएटल
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