चाय बिना चैन कहाँ रे
सोना नहीं चाँदी नहीं
चाय तो पिला
अरे चाय भर दे
कोई नया सपना निगाहों में तो है
कोई नया साथी नयी राहों में तो है
दिल जो मिलेंगे तकदीर बनेगी
ज़िंदगी की नयी तस्वीर बनेगी
चाय ले ये कट और चार कर दे
यार हमें पेप्सी नहीं चाय चाहिए
अद्रक वाली ज़ायक़ेदार चाय चाहिए
हीरे मोतियों से जड़ा कप ना तू दे
कुल्हड़ में बसा संसार चाहिए
पारले जी भी दे के उपकार कर दे
राहुल उपाध्याय । 19 अप्रैल 2021 । सिएटल
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