Sunday, November 21, 2021

तुम्हीं से मोहब्बत, तुम्हीं से शिकवा

तुम्हीं से मोहब्बत, तुम्हीं से शिकवा

ये आशिक़ भी कैसा घनचक्कर होता 


लड़ें भी हम, मनाएँ भी हम

बात-बात पे ये जमकर रोता 


सब अलग और वो दो सबसे अलग

उन्हीं की बेटी से क्यों प्यार कसकर होता 


हम भी चाहते हैं कि भग जाएँ कहीं अब

दिन-रात का होना है अब दुष्कर होता


ज़िन्दगी-जीवन जंजाल सभी है

इनका सामना क्या कभी डटकर होता


राहुल उपाध्याय । 21 नवम्बर 2021 । सिएटल 



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