Friday, February 10, 2023

न डाक्यूमेंट्री बनी हम पे

न डाक्यूमेंट्री बनी हम पे

न हम शॉर्ट सेल हो गए

क्या ख़ाक ज़िन्दगी जी

जी हम फेल हो गए


पढ़ने-लिखने-कमाने में ही

पूरी ज़िंदगी गुज़ार दी

दिन-रात-सुबह-शाम

कोल्हू के बैल हो गए


सामने से हटा लो मेरे

संस्कृति और संस्कार को

जो पग-पग रोकते

नकेल हो गए


कोई और क्या करेगा

हमें और शर्मसार 

हम आप ही अपने

कॉफ़िन के नेल हो गए


हम कहाँ पात्र हैं

'दीवार' से शाहकार के

कि शर्ट में गाँठ बाँध 

रिबेल हो गए


राहुल उपाध्याय । 10 फ़रवरी 2023 । सिएटल 











ज़िन्दगानी में हम यूँ फेल हुए 


लड़ते-मरते ही गुज़री ज़िन्दगी 

कहने को कई खेल हुए






इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


1 comments:

विमल कुमार शुक्ल 'विमल' said...

सुन्दर भावना प्रधान रचना