Saturday, February 25, 2023

बीमारी

दो हज़ार उन्नीस में

एक जानलेवा बीमारी ने

जन्म लिया था 

जिसकी खबर हमें

दो हज़ार बीस में लगी थी


जब लगी तब भी हम इसके

विनाशकारी प्रभाव को

मानने से मुकर रहे थे

रोकथाम के तरीक़ों से 

मुँह मोड़ रहे थे

उन्हें अपनाने में हमें

अपना ही नुक़सान दिख रहा था

कोई भलाई नहीं दिख रही थी

भला ऐसा भी कहीं होता है?

मुँह पर पट्टी बांध लो?

किसी से मिलने न जाओ?

गले न लगाओ?

हाथ न मिलाओ?

शादी में न जाओ?

दाह-संस्कार में न शामिल हो?

रोने को कंधा न दो?

अस्पताल मिलने न जाओ?

हमारी मानवीयता की जड़ें ही ख़त्म नहीं हो जाएँगी? 


दो हज़ार उन्नीस में ही

एक और भयानक बीमारी ने जन्म लिया था

भारत में 

जिसकी खबर आज तक

कई लोगों तक नहीं पहुँची है 

पहुँची भी है

तो वे इसके विनाशकारी प्रभाव को

मानने से मुकर रहे हैं 

रोकथाम के तरीक़ों से 

मुँह मोड़ रहे हैं 

उन्हें अपनाने में उन्हें 

अपना ही नुक़सान दिख रहा है 

कोई भलाई नहीं दिख रही है 

भला ऐसा भी कहीं होता है?

जिन चीजों पर हम विश्वास कर रहे हैं

उन्हें झूठ कैसे मान लें?

हम ख़ुद ही झूठे साबित नहीं हो जाएँगे?


राहुल उपाध्याय । 25 फ़रवरी 2023 । सिएटल 




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