जबसे तुमने फ़ोन करना बन्द कर दिया है
मैंने बर्तन धोने बन्द कर दिए हैं
कपड़े फ़ोल्ड करने का भी मन नहीं करता है
सारे बेकार के काम बेकार लगते हैं
कई दिनों से हम स्टेटस-स्टेटस खेल रहे हैं
कभी प्रेम-प्यार को परिभाषित करते हैं
कभी झूठ-सच का फ़र्क़ बतलाते हैं
एक दूसरे की डीपी ताकते हैं
उनमें निहित अर्थ की क़यास लगाते हैं
न तुम फ़ोन करती हो
न मैं करता हूँ
कभी सोचता हूँ नफ़रत ही कर लूँ
हर क़यास से छुट्टी पा लूँ
तुम कहाँ गई और कहाँ नहीं
ऐसे सवालात को आग लगा दूँ
तुम मेरी हो, तुम मेरी नहीं हो
इस पेंडुलम पे स्टॉप लगा दूँ
राहुल उपाध्याय । 24 फ़रवरी 2023 । सिएटल
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