प्यार ही ताक़त है
प्यार ही है बाधा
राधा ही राहत है
राधा ही है काँटा
तभी तो छोड़ के
चल दिए गोविन्दा
शादी से पहले की
शादी में न बातें
कितनी सुहानी थीं
अब नहीं वो रातें
लड़ना ही, भिड़ना ही
है रोज़ का धंधा
और वादों-इरादों का
अब कहाँ है मौसम
झुमके दिला दो जी
कहते नहीं हैं हम
जो भी है, सही है
झुकेगा न पुष्पा
सदियों से दुनिया का
यही तो है क़िस्सा
प्रेम और प्यार बस
एक तरह का नशा
चढ़ता है शाम को
उतर जाए दुपहरिया
राहुल उपाध्याय । 13 फ़रवरी 2023 । सिएटल
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