Thursday, February 23, 2023

डरते-डरते व्हाट्सएप करना अच्छा लगता है

डरते-डरते व्हाट्सएप करना अच्छा लगता है

हैं इस युग के हीर-रांझा, ऐसा लगता है 


कितने नग़मे, कितने गीत लिखे हैं फिर भी

जो कहना है कहा ही नहीं, बेजा लगता है 


आते-जाते मौसम भी तो इतने हैं हरजाई 

काम किया, चले गए, धंधा लगता है 


सपने भी अपने हैं रात भर के ही साथी 

कोई देख न ले उनको डर सा लगता है 


कौन आया, कौन गया, क्यूँ ये सोचूँ मैं

रूह को क्या, ख़ाक ही को कंधा लगता है 


तेरा-मेरा मिलना ऐसा जैसे आँगन में

खिल उठे कोई पीपल, वैसा लगता है


राहुल उपाध्याय । 27 जुलाई 2021 । सिएटल 

https://youtu.be/xGw26S7tHQE



इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: