Wednesday, February 22, 2023

शादी

शादी आजकल है उल्लास का समय

पार्टी-शार्टी-नाचने का समय

कौन रोता है, कौन गाता है 

बाबुल की दुआएँ लेती जा

बाबुल की दुआएँ लेती जा


जो छुप-छुप के होता था कभी-कभी 

वह स्टेज पे होता है खुले आम अभी

दुल्हन भी मटकती रहती है 

दुल्हे के गले वो लगती है 

संगीत-मेहंदी हैं सब कुछ 

फेरो की ज़रूरत कहाँ पड़ती है 

प्री-वेडिंग भी अब शूट होता है 

पर्दे पे जो चलता रहता है 

मुँह दिखाई की रस्म अब दफ़ा हुई

लंदन वाले ठुमके चलते हैं 

कौन रोता है, कौन गाता है 

बाबुल की दुआएँ लेती जा

बाबुल की दुआएँ लेती जा


अब कौन कहेगा कि भार है ये

शादी-ब्याह अब त्योहार है ये

उधार लेने वाले ये दिखते नहीं 

पाई-पाई जोड़ने वाले हैं नहीं 

नोट बरसते हैं सब पर 

दावत देते हैं बढ़-चढ़ कर

वो लहंगा ही क्या जो न महँगा हो 

वह डांस ही क्या जो न भंगड़ा हो

हाय ओ रब्बा, हाय ओ रब्बा के शोर में

अब कौन रोता है, कौन गाता है 

बाबुल की दुआएँ लेती जा

बाबुल की दुआएँ लेती जा


राहुल उपाध्याय । 22 फ़रवरी 2023 । सिएटल 









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