झोपड़ी के दीप सा टिमटिमाता तारा
भटकता है नभ में ज्यों भटके शिकारा
भटकना ही जीव का दीन-ओ-धरम है
ब्राउनियन मोशन में जीव-सार सारा
भटकना न होता तो पाषाण होते
न हिलते, न डुलते, न होते बीच धारा
जीवन है जीना तो बहना है निश्चित
जीते जी किसी को न मिलता किनारा
मोक्ष की आस में आँख जो हैं मूंदे
चेतन से जड़ की और जा रहे हैं यारा
सिएटल । 425-445-0827
12 अप्रैल 2010
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ब्राउनियन मोशन = Brownian Motion
Monday, April 12, 2010
ब्राउनियन मोशन में जीव-सार सारा
Posted by Rahul Upadhyaya at 9:02 AM
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2 comments:
"ब्राउनियन मोशन में जीव-सार सारा"
बहुत अच्छा!
Good one। अंतिम पंक्ति में वर्तनी सुधार"ओर"।
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