मंगल के दिन मंगलयान मंगल गया
देखते ही देखते
सीधे प्रसारण को देख के
जितने भी थे
(देसी-विदेसी
अड़ोसी-पड़ोसी
विरोधी-अवरोधी)
सब के सब का मन गल गया
गलना ही था
गल ही कुछ ऐसी थी
पर अपना तो भेजा फिर गया
(और इनका भेजा तो फिर आएगा भी नहीं)
ये क्या बात हुई
नमो के मंतर में मदर गूज़ कहाँ से आ गई?
मंगलयान सा सुंदर नाम था चुना
उस में मॉम कहाँ से आ गई?
तत्सम शब्दों के बीच अंग्रेज़ी क्यों घुसा दी गई?
माना कि
सारे वैज्ञानिक
अंग्रेज़ी में पारंगत हैं
गणित-ज्यामिति-भौतिक-रसायन आदि शास्त्र
अंग्रेज़ी में पढ़े हैं
लेकिन स्थिति इतनी भी तो दयनीय नहीं होनी चाहिए
कि बधाई के लिए आपको अपनी भाषा में शब्द ही न मिले
हर्ष और उल्लास भी प्रकट करें तो किसी और की भाषा में करें
और आखिर गर्व भी किस बात का?
इस बात का नहीं कि हम सस्ते में अपने बल-बूते पे वहाँ पहुँच गए
बल्कि इसका कि हम दूसरों का सामान ढोने लायक बन गए
25 सितम्बर 2014
सिएटल । 513-341-6798
देखते ही देखते
सीधे प्रसारण को देख के
जितने भी थे
(देसी-विदेसी
अड़ोसी-पड़ोसी
विरोधी-अवरोधी)
सब के सब का मन गल गया
गलना ही था
गल ही कुछ ऐसी थी
पर अपना तो भेजा फिर गया
(और इनका भेजा तो फिर आएगा भी नहीं)
ये क्या बात हुई
नमो के मंतर में मदर गूज़ कहाँ से आ गई?
मंगलयान सा सुंदर नाम था चुना
उस में मॉम कहाँ से आ गई?
तत्सम शब्दों के बीच अंग्रेज़ी क्यों घुसा दी गई?
माना कि
सारे वैज्ञानिक
अंग्रेज़ी में पारंगत हैं
गणित-ज्यामिति-भौतिक-रसायन आदि शास्त्र
अंग्रेज़ी में पढ़े हैं
लेकिन स्थिति इतनी भी तो दयनीय नहीं होनी चाहिए
कि बधाई के लिए आपको अपनी भाषा में शब्द ही न मिले
हर्ष और उल्लास भी प्रकट करें तो किसी और की भाषा में करें
और आखिर गर्व भी किस बात का?
इस बात का नहीं कि हम सस्ते में अपने बल-बूते पे वहाँ पहुँच गए
बल्कि इसका कि हम दूसरों का सामान ढोने लायक बन गए
25 सितम्बर 2014
सिएटल । 513-341-6798
1 comments:
कविता के word play ने बहुत हँसाया - "मंगल" और "मन गल" और फिर "गलना ही था, गल ही कुछ ऐसी थी" पढ़कर बहुत हँसी आयी!:)
यह lines भी बहुत funny हैं : "पर अपना तो भेजा फिर गया, (और इनका भेजा तो फिर आएगा भी नहीं)" :)
"मदर गूँज" और "MOM" की बात भी मज़ेदार है।
बहुत नए शब्द सीखे: "पारंगत" और "ज्यामिति-भौतिक-रसायन"
बधाई अंग्रेजी में क्यों दी, क्या scientists को हिंदी नहीं आती - सवाल अच्छा है। फिर आपकी कविता "रचना में नहीं बसे रचयिता" की lines याद आ गयीं:
"दुल्हन वही जो पिया मन भाये
भाषा वही जो बात कह जाये" :)
कविता की last line - "हम दूसरों का सामान ढोने लायक बन गए" समझ नहीं आयी - शायद मुझे news की knowledge कम है।
बहुत funny कविता है और इसका title "मंगल के दिन मंगलयान मंगल गया" अच्छा लगा!
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