न किया गिला
न किया शिकवा कभी
सर आँखों लिया
जो भी मिला सिला कभी
हम भी तुम्हें
बाँहों में लेते
जो होता मेहरबाँ
तुझपे तेरा खुदा कभी
अब फ़ुरसत ही
फ़ुरसत है रात-दिन
कोरोना दे राहत तो
करें तस्सवुर-ए-जानाँ कभी
ये दूरी जो
आज है सुरक्षा-कवच
क्या बन जाएगी
न मिलने का बहाना कभी
बेख़ौफ़ है ज़िन्दगी
और बेख़ौफ़ ही रहेगी
डरता जो राहुल
घर छोड़ न यूँ आता कभी
राहुल उपाध्याय । 2 अप्रैल 2020 । सिएटल
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