Monday, March 1, 2021

ये सजना-संवरना


ये सजना-संवरना 

ये पलकें झपकना

ये सच है कि सपना 

कि लगे कोई अपना 


ये जीना, ये मरना 

ये सच है कि सपना 

ये समझेगा वो ही 

जिसे है समझ ना


ये चलना, ये गिरना 

ये गिर कर सम्हलना 

ये करेगा वो ही

जिसकी है पहुँच ना


ये मिलना-बिछड़ना

मिल कर न मिलना

वो समझेगा कैसे

जिसे है तड़प ना


ये पल-पल चहकना

ये पल-पल तुनकना

उसके है नसीब में

जिसे है फ़िकर ना


राहुल उपाध्याय । 1 मार्च 2021 । सिएटल 






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