Friday, March 19, 2021

जो चाहता है तू तुझको अता है

https://youtu.be/wrm1R6OXsWc 


मेरे सपनों ने मुझे ये कहा है

जो चाहता है तू तुझको अता है

ये सारा जीवन जो तुझको मिला है

है ये एक सौग़ात नहीं ये सज़ा है


जो जलवे हैं जग में उन्हें तो निखारों

जो मुख़ातिब हैं तुमसे उन्हें तो पुकारों

जो पाया है नभ से उन्हें तो निहारों

दिन-रात का संग सबसे जुदा है


भड़कते हैं शोले जो तेरे बदन में

पनपते हैं धागे जो तेरे ही मन में

बनते हैं नगमें वो सुर के चमन में

तेरे राग का तू खुद ही ख़ुदा है


हसीं इस जहाँ में सब ही हसीं हैं

चाहता है तू जिसको वो दिलनशी है

देख लें खुद को तू तुझे क्या कमी है

अपने आपको ही नहीं जानता है


राहुल उपाध्याय । 19 मार्च 2021 । सिएटल 

अता = दिया गया

मुख़ातिब = सामने


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1 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

भावनाओं का सिंधु बह रहा लेकिन कुछ उलझा उलझा सा ।