मैं जानता हूँ
यह मेरी उम्र नहीं
और बंधन में
बंधने का भी कोई शौक़ नहीं
लेकिन
तुम
तुम्हारी हरकतें
तुम्हारी अदाएं
तुम्हारी बातें
तुम्हारी ज़ुल्फ़ें
तुम्हारी आँखें
तुम्हारी बाँहें
सब मजबूर करते हैं
मुझे
उसी बर्तन में खाने को
जिसमें मैं पकाता हूँ
ताकि
चाहे बरसात ही हो
पर विवाह की सम्भावना तो हो
राहुल उपाध्याय । 10 मार्च 2021 । सिएटल
0 comments:
Post a Comment