Wednesday, March 10, 2021

चाहे बरसात ही हो

मैं जानता हूँ 

यह मेरी उम्र नहीं 

और बंधन में 

बंधने का भी कोई शौक़ नहीं 

लेकिन 

तुम

तुम्हारी हरकतें 

तुम्हारी अदाएं 

तुम्हारी बातें 

तुम्हारी ज़ुल्फ़ें 

तुम्हारी आँखें 

तुम्हारी बाँहें 

सब मजबूर करते हैं

मुझे 

उसी बर्तन में खाने को

जिसमें मैं पकाता हूँ 

ताकि

चाहे बरसात ही हो

पर विवाह की सम्भावना तो हो


राहुल उपाध्याय । 10 मार्च 2021 । सिएटल 


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