वस्तुएँ दुनिया से कैसे
घर पर पहुँचे हमारे
समझे तब जब फँसे हम
नहर के किनारे
आबादी जितनी बढ़ेगी
ज़रूरतें उतनी बढ़ेंगी
तेज़ी के इस युग में
उम्मीदें और बढ़ेंगी
आप कहीं हो जहाँ में
मिले सब कुछ वहाँ है
गर्मी में आइसक्रीम मिलती
बर्फ़ में पिज़्ज़ा मिला है
हर घड़ी हर पहर हम
भर रहे हैं क़दम हम
छोटी सी ज़िंदगी में
जा रहे हैं किधर हम
राहुल उपाध्याय । 30 मार्च 2021 । सिएटल
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