Saturday, November 30, 2024

विपासना

तुम अकेले रहते हो

इसका मतलब यह नहीं 

कि विपासना करते हो


क्या बिन बोले,

सुने, देखे, पढ़े, लिखे

रह सकते हो?


जब तुम तन्हा हो 

विचार रहित

तब तुम क्या हो?


साँस लेता पुतला?

ख़ुद ही को पालता-पोसता


शर्म आनी चाहिए तुम्हें 


राहुल उपाध्याय । 30 नवम्बर 2024 । सिएटल 


Thursday, November 28, 2024

चलते-चलते आदमी हो जाता है ढेर

चलते-चलते आदमी हो जाता है ढेर 

करना है तो आज कर, कल न हो सबेर


हार-जीत की सोच ना, सोच करे नुकसान

करने वाले कर गए काम बड़े महान


चलती चक्की देख के दिया कबीरा रोए

आटा-वाटा रोग है, खाए बीमार होए 


हाथों में है जान तो है सारा जहान

यार-दोस्त, भाई-भतीजे सब करे सम्मान 


छोटी सी ये यात्रा, छोटा सा ये खेल

धक्का-मुक्का ना करो, कसो ना नकेल 


राहुल उपाध्याय । 28 नवम्बर 2024 । सिएटल 




पढ़-लिख के रात-दिन हुए नौकरी को भेंट

पढ़-लिख के रात-दिन हुए नौकरी को भेंट

हैं कहाँ वो आदमी जो कर रहे इन्वेंट 


आधे से ज़्यादा आदमी हैं बंधुआ मज़दूर 

कहने को वे पा रहे छुट्टियाँ भरपूर 


जोड़ते-जोड़ते आएगा एक दिन ऐसा मोड़ 

जाते वक़्त तुम जाओगे सब यहाँ पे छोड़ 


सब दिन होंगे एक से, याद रखो इक बात

सुख-दुख सारे एक हैं, सोच ही देती मात


वजन न होता कम कभी, देखो धरती ओर

घूमती-फिरती रात-दिन, खाए न एक भी कौर


राहुल उपाध्याय । 28 नवम्बर 2024 । सिएटल 






Wednesday, November 27, 2024

कामकाज जो करे मिले ना उचित दाम

कामकाज जो करे, मिले ना उचित दाम 

बिन काम किये कोई पा रहा इनाम 


इस दुनिया की रीत को कहूँ मैं अत्याचार 

सीधा-सादा रो रहा, नाचे व्याभिचार 


आगे-पीछे कुछ नहीं जो है सो ये सार

परलोक की बात पर करो ना सोच-विचार 


जीवन है कुछ और नहीं पल दो पल का प्यार 

जी लो इसमें ज़िंदगी, बाक़ी सब बेकार


राहुल उपाध्याय । 27 नवम्बर 2024 । सिएटल 





Monday, November 25, 2024

तुम न होती कविता न होती

तुम न होती कविता न होती 

कविताओं में ढलते न मोती 


तुमसे ही तो ग़ज़ल हुई है 

वरना रदीफ-काफ़ियों में खोती 


इक उम्र पड़ी है जीने को लेकिन 

तुम पर न मरता तो क़िस्मत ये रोती


जीती तो है पर अपने दम पर नहीं 

है किसी की नाती, किसी की पोती 


गांधी कई हैं आसपास तुम्हारे 

ज़रूरी नहीं है कि पहने वो धोती


राहुल उपाध्याय । 25 नवम्बर 2024 । सिएटल 



Sunday, November 24, 2024

इतवारी पहेली: 2024/11/24


इतवारी पहेली:


त्रिपुरा की राजधानी है #####

मत खाइएगा कुछ, है ### ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 1 दिसम्बर 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 24 नवम्बर 2024 । सिएटल 




Re: इतवारी पहेली: 2024/11/17



On Sun, Nov 17, 2024 at 1:47 AM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


कीर्तिमान के झंडे बिग # ###

मर गए वो जो उनका कुछ #### 


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 24 नवम्बर 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 17 नवम्बर 2024 । सिएटल 




Saturday, November 23, 2024

चाँदनी न चाँद पर

चाँदनी न चाँद पर

न सूर्य प्रकाश सूर्य पर


दूर से ही प्रकृति

सार अपना है भेजती


सब तेरे पास हो

सब तेरे हाथ हो

ज़िद ये पगले छोड़ दे

मान जा, अभी सम्हल 

बादलों को ओढ़ना

प्यास का नहीं है हल


राहुल उपाध्याय । 23 नवम्बर 2024 । सिएटल 


बेबी का भूत

बेबी का भूत अब सर से तुम उतार दो

जो मिला है उसे खूब सारा प्यार दो


खून के नहीं है पर रिश्ते तो हज़ार है

हर किसी की ज़िंदगी प्रीत से संवार दो


हाथ धरो, साथ चलो, ज़रूरी ये कुछ नहीं 

मुस्कराहट ही भले तुम किसी पे वार दो


गीत गाओ, धुन सुनो या पढ़ कोई किताब लो

या हँसते-हँसते ज़िन्दगी यूँही तुम गुज़ार दो


हर किसी का हाथ है, हर किसी के विकास में

तुमने किया है क्या, इस विचार को ही मार दो


राहुल उपाध्याय । 23 नवम्बर 2024 । सिएटल 




Thursday, November 21, 2024

बालों को गिनना आसान हो गया है

बालों को गिनना आसान हो गया है 

जब से बेटा जवान हो गया है


अक़्ल पे हमारे क्यूँ पड़ते न पत्थर

दौलत पे इतना गुमान हो गया है 


धन की समस्या मिटाने गया तो

ग़ायब घर से ईमान हो गया है 


सिफ़ारिश उसकी मेरे काम आ गई

देखते ही देखते वो आसमान हो गया है 


जब आईना ही मेरा सच्चा नहीं है

किस-किसको कहूँ कि हैवान हो गया है


राहुल उपाध्याय । 21 नवम्बर 2024 । सिएटल 



Wednesday, November 20, 2024

इस पल में जियो

इस पल में जियो 

यह सीख बचकानी हुई

आँधी आने की

जब घोषणा हुई


जो नहीं लाना था

वो भी ले आए

पूरी की पूरी

दुकान ले आए


जब बिजली नहीं थी

जाती नहीं थी

जो आता है वो जाता है 

यह बात सताती नहीं थी


हर सीख से आदमी कैसे सीखे?

निडर हो कर कैसे जिएँ?

कल की आशंका से डरता है वो

बूंद-बूंद से घड़ा भरता है वो

आग लगने पर कुआँ खोदता नहीं 

चांस पे कभी कुछ छोड़ता नहीं 


राहुल उपाध्याय । 20 नवम्बर 2024 । सिएटल 






Sunday, November 17, 2024

इतवारी पहेली: 2024/11/17


इतवारी पहेली:


कीर्तिमान के झंडे बिग # ###

मर गए वो जो उनका कुछ #### 


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 24 नवम्बर 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 17 नवम्बर 2024 । सिएटल 




Re: इतवारी पहेली: 2024/11/10



On Sun, Nov 10, 2024 at 5:22 AM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


विमला बना खम्मन # ## रही थी

और बच्चे का बोझ # ## रही थी


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 17 नवम्बर 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 10 नवम्बर 2024 । सिएटल 




Sunday, November 10, 2024

इतवारी पहेली: 2024/11/10


इतवारी पहेली:


विमला बना खम्मन # ## रही थी

और बच्चे का बोझ # ## रही थी


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 17 नवम्बर 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 10 नवम्बर 2024 । सिएटल 




Friday, November 8, 2024

मैं आया हूँ लेके ताज हाथों में

मैं आया हूँ, लेके ताज हाथों में 

जनतंत्र की पहचानी, हो पहचानी राहों से


मौन अरमानों को मैं आवाज़ दे रहा हूँ 

हाँ मैं विचारों को नये अल्फ़ाज़ दे रहा हूँ 

बसकर सबके ख़्वाबों में

जीत कर वोट को लाखों में 

मैं आया हूँ, लेके ताज हाथों में 


छोड़कर रिटायरमेंट मैं ये काम कर रहा हूँ

हाँ नाम बुढ़ापे का मैं बदनाम कर रहा हूँ 

चलकर अपने दम पर मैं

जूझकर लाखों-लाखों से

मैं आया हूँ, लेके ताज हाथों में 


स्पीच मेरी सुनकर, नौजवान जागते हैं 

हाँ जोश में आके नए आसमान नापते हैं 

रोशनी उनकी आँखों में

और भरकर ऊर्जा बाँहों में

मैं आया हूँ, लेके ताज हाथों में 


(आनन्द बक्षी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 8 नवम्बर 2024 । सिएटल 



Thursday, November 7, 2024

रात भर टीवी देखो

रात भर टीवी देखो

दिन पहाड़ सा नहीं लगता 

हाथ में हो हाथ 

दिमाग़ नहीं भटकता


दुनिया की गलियों में 

नज़ारे ही नज़ारे हैं

कैमरा हो हाथ में

बुरा नहीं दिखता 


जो खोज लेता है ख़ुद को

पहचान लेता है आप को

वो कौन जीता, कौन हारा

इसमें नहीं उलझता


सफ़र है ये सबका

सबका ये पड़ाव है

तू-तू मैं-मैं करने से

कुछ बदला नहीं करता


अक्सर ये आदमी 

इश्क़ जब है करता

माँ-बाप या भाई-बहन

किसी की नहीं सुनता 


राहुल उपाध्याय । 7 नवम्बर 2024 । सिएटल 


Wednesday, November 6, 2024

अब तो मान जाओ

अब तो मान जाओ 

कि वो सुनता नहीं है

किसी भी मुद्दे पर

हस्तक्षेप करता नहीं है

तुम चाहो कि

यह जीते

वह जीतता नहीं है 

तुम चाहो कि

वह हारे

वह हारता नहीं है

तुम्हारे चाहने से

कुछ होता नहीं है 

यदि हो भी गया

तो तुम्हारे चाहने से तो यह हुआ नहीं है

क्योंकि हर बार ऐसा होता नहीं है


राहुल उपाध्याय । 6 नवम्बर 2026 । सिएटल 


Sunday, November 3, 2024

इतवारी पहेली: 2024/11/03


इतवारी पहेली:


जो जीता वो ##%## 

जो हारा वो ## #%## 


(दूसरी पंक्ति का पहला शब्द अंग्रेज़ी का है, लेकिन हिन्दी में प्रचलित है)


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 10 नवम्बर 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 3 नवम्बर 2024 । सिएटल 




Re: इतवारी पहेली: 2024/10/27



On Sat, Oct 26, 2024 at 11:54 PM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


उस दिन बारिश में उसका भी दामन ## #

यही है उसकी भी कहानी और मेरी # ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 3 नवम्बर 2024 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 27 अक्टूबर 2024 । सिएटल