बेबी का भूत अब सर से तुम उतार दो
जो मिला है उसे खूब सारा प्यार दो
खून के नहीं है पर रिश्ते तो हज़ार है
हर किसी की ज़िंदगी प्रीत से संवार दो
हाथ धरो, साथ चलो, ज़रूरी ये कुछ नहीं
मुस्कराहट ही भले तुम किसी पे वार दो
गीत गाओ, धुन सुनो या पढ़ कोई किताब लो
या हँसते-हँसते ज़िन्दगी यूँही तुम गुज़ार दो
हर किसी का हाथ है, हर किसी के विकास में
तुमने किया है क्या, इस विचार को ही मार दो
राहुल उपाध्याय । 23 नवम्बर 2024 । सिएटल
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